मध्य प्रदेश की चार हस्तियों को पद्मश्री, खेल में सतेंद्र सिंह लोहिया व साहित्य में भगवती लाल राजपुरोहित को सम्मान

कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडित ओमप्रकाश शर्मा और कालूराम बामनिया, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भगवती लाल राजपुरोहित जबकि खेल के लिए सतेंद्र सिंह लोहिया को यह सम्मान दिया जाएगा।

Updated: Jan 26, 2024, 09:42 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की 4 हस्तियों को साल 2024 के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडित ओमप्रकाश शर्मा और कालूराम बामनिया, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भगवती लाल राजपुरोहित जबकि खेल के लिए सतेंद्र सिंह लोहिया को यह सम्मान दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चारों हस्तियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सभी विभूतियों को मंगल शुभकामनाएं। अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि पद्म पुरस्कारों में मध्य प्रदेश से कला के क्षेत्र में ओमप्रकाश शर्मा एवं कालूराम बामनिया, खेल के क्षेत्र में सतेंद्र सिंह लोहिया तथा साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में भगवतीलाल राजपुरोहित को पद्मश्री से सम्मानित करने के लिए चुना गया है। आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।’

उज्जैन के रहने वाले पंडित ओमप्रकाश शर्मा को भारत में माच लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्होंने मालवी लोक कला माच के लिए कई नाटक लिखे। इसकी थिएटर प्रस्तुतियों के लिए संगीत भी तैयार किया। युवा कलाकारों को इस लोक कला का प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने कई बड़े नाटक, टीवी सीरियल और फिल्मो में भी योगदान दिया है। उन्होंने रंगमंच की जानीमानी हस्ती बी.वी. कारंत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘औरत भली रामकली’ में अदाकार और सह-संगीत निर्देशक की भूमिका निभाई थी। वहीं, कालूराम बामनिया कबीर भजन गायक हैं।

 दूसरी ओर भिंड के सतेंद्र सिंह लोहिया अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक खिलाड़ी हैं। उन्होंने विक्रम अवार्ड 2014, तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक अवार्ड 2019 भी हासिल किए। वे अभी तक 8 राष्ट्रीय पैरालंपिक तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। उन्होंने देश में हुई प्रतियोगिताओं में 26 पदक हासिल किए। इसके अलावा 3 अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक तैराकी प्रतियोगिताओं में उन्होंने 4 पदक हासिल किए हैं।

इसके अलावा भगवती लाल राजपुरोहित का जन्म धार जिले के चंदोड़िया में 2 नवंबर 1943 को हुआ। उन्होंने हिंदी, संस्कृत और प्राचीन इतिहास में एमए और पीएचडी की डिग्री ली है। राजपुरोहित को 1984 और 1990 में मध्यप्रदेश संस्कृत अकादमी का भोज पुरस्कार मिला। 1990 में डॉ. राधाकृष्णन सम्मान और 1988 में मप्र साहित्य परिषद के बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।