सारंगपुर: दुकानों की नीलामी में जमा राशि वापस पाने भटक रहे खरीदार, न दुकान मिल रही न पैसा
सारंगपुर में एबी रोड किनारे ब्लॉक कॉलोनी में बनी दुकानों की नीलामी के 16 महीने बाद भी खरीदारों को न तो दुकानें मिलीं और न ही जमा की गई अमानत राशि वापस हो सकी।

सारंगपुर| एबी रोड किनारे स्थित ब्लॉक कॉलोनी में बनाई गई दुकानों की नीलामी के 16 महीने बाद भी खरीदार न तो दुकानें हासिल कर पाए हैं और न ही उनकी जमा की गई अमानत राशि लौटाई गई है। करीब 197 आवेदक इस सवा करोड़ रुपये की राशि की वापसी के लिए लंबे समय से भटक रहे हैं। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश और राजगढ़ कलेक्टर द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के बावजूद समाधान नहीं हो सका है। इसी के चलते नगर पालिका उपाध्यक्ष भावना निलेश वर्मा ने गुरुवार को राजगढ़ कलेक्टर को पत्र लिखकर खरीदारों की जमा राशि वापस कराने की गुहार लगाई है।
मामला वर्ष 2023 का है, जब सारंगपुर नगर पालिका ने वार्ड 17 में ब्लॉक कॉलोनी में दुकानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी। नीलामी के लिए 20 सितंबर 2023 को 197 आवेदकों से प्रति व्यक्ति 70 हजार रुपये की अमानत राशि जमा कराई गई थी। इन दुकानों की नीलामी में 25 लाख रुपये से 39 लाख रुपये तक की बोली लगी और कुल 9.56 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा हुई। लेकिन, जमीन को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था, जिससे यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।
विवाद की जड़ सारंगपुर के बीचों-बीच स्थित सर्वे क्रमांक 833 और 836 की 1.279 हेक्टेयर भूमि है, जो बीते 60 वर्षों से जनपद पंचायत के कब्जे में रही है। इस जमीन पर जनपद पंचायत आवासीय क्वार्टर्स बनाना चाहती थी, लेकिन 2023 में नगर पालिका ने इस भूमि पर कब्जा कर दुकानों का निर्माण शुरू कर दिया। जनपद पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और स्टे ले लिया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 14 सितंबर 2023 को इस जमीन को शासकीय घोषित कर दिया। इस आदेश को जनपद पंचायत और नगर पालिका दोनों को भेजा गया। लेकिन, इसके तीन दिन बाद ही 18 सितंबर 2023 को तत्कालीन प्रभारी सीएमओ विनोद गिरजे और नगर पालिका अध्यक्ष पंकज पालीवाल ने आनन-फानन में नीलामी प्रक्रिया पूरी कर 30 दुकानों को बेच दिया।
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इस विवाद के चलते, हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए, लेकिन न तो खरीदारों को दुकानें मिलीं और न ही उनकी जमा राशि लौटाई गई। अब 16 महीने बाद, करीब 1.25 करोड़ रुपये की राशि की वापसी के लिए खरीदार परेशान हो रहे हैं। उपाध्यक्ष भावना निलेश वर्मा ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।