सीधी में स्कॉलरशिप का झाँसा देकर सात आदिवासी छात्राओं से रेप, IG बोले- बढ़ सकती है पीड़ितों की संख्या
आरोपी एप से कॉलेज टीचर बनकर महिला की आवाज में बात करते और स्कॉलरशिप के लिए दस्तावेज मंगवाने के नाम पर सुनसान जगह बुलाते थे और दुष्कर्म की घटना को अंजाम देते थे।

सीधी। मध्य प्रदेश के सीधी जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां स्कॉलरशिप का झाँसा देकर सात आदिवासी छात्राओं के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस का कहना है की पीड़ित छात्राओं की संख्या ज्यादा भी हो सकती है। मामला सामने आने के बाद कांग्रेस राज्य सरकार पर हमलावर है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे पर सवाल खड़े किए हैं
बताया जा रहा है कि आरोपी किसी मोबाइल ऐप के जरिए कॉलेज टीचर बनकर महिला की आवाज में बात करते थे और स्कॉलरशिप के लिए दस्तावेज मंगवाने के नाम पर सुनसान जगह बुलाते थे। शक न हो, इसके लिए युवतियों को पहले ही बता देते कि उन्हें तय स्थान पर लेने के लिए एक लड़का बाइक से आएगा जो उन्हें टीचर के पास पहुंचा देगा।
पुलिस ने मुख्य आरोपी ब्रजेश प्रजापति (30) और उसके साथी राहुल प्रजापति और संदीप प्रजापति को पकड़ा है। ब्रजेश प्रजापति ने दो शादियां की हैं। पहली पत्नी को उसने छोड़ दिया। दूसरी पत्नी से एक बच्ची है। आरोपी पेशे से मजदूर है, पर उसने यूट्यूब पर इस तरह के आवाज बदलने वाले एप की जानकारी ली और इसे अपने मोबाइल पर इंस्टॉल किया। इसके बाद से छात्राओं को निशाना बनाना शुरू किया। उसने जिले के एक सरकारी कॉलेज के वॉट्सएप ग्रुप से छात्राओं के फोन नंबर निकाले थे।
मामले पर आईजी रीवा रेंज महेंद्र सिंह सिकरवार ने कहा कि अभी तक आरोपियों ने सात छात्राओं से रेप की बात कबूली है, पर ये संख्या अधिक भी हो सकती है। इसकी जांच की जा रही है। इस बारे में पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया गया है।
वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा, 'देश अब तक भूला नहीं है कि इसी सीधी ज़िले में एक आदिवासी युवक के सिर पर भाजपा के नेता ने पेशाब की थी।
क्या मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय की लड़कियाँ निर्भय होकर कॉलेज में पढ़ाई भी नहीं कर सकतीं? ऐसे हालात में "बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ" के नारे का क्या अर्थ रह जाता है? मध्य प्रदेश पहले ही आदिवासी अत्याचार और महिलाओं पर अत्याचार में नंबर वन है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार का समाचार सामने न आता हो।'
कमलनाथ ने ट्वीट के माध्यम से आगे कहा, 'मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूँ कि सभी पीड़ित छात्राओं को समुचित आर्थिक सहायता दी जाए। इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच की जाए। बेटियों से अत्याचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख़्शा जाए? मुख्यमंत्री प्रदेश में आदिवासी बच्चियों की सुरक्षा के लिए विशेष टास्क फ़ोर्स का गठन करें ताकि आदिवासी समाज की बच्चियां समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें और अपने भविष्य का निर्माण कर सकें।'