जगद्गुरु शंकराचार्य की शरण में पहुंचे प्रह्लाद पटेल, 30 साल बाद खत्म हुई कड़वाहट, कयासों का दौर शुरू

बीजेपी में उपेक्षा झेल रहे पटेल बंधुओं की दिग्विजय सिंह के आध्यात्मिक गुरु स्वरूपानंद सरस्वती से हुई मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं, बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में कांग्रेस विधायक एनपी प्रजापति की महत्वपूर्ण भूमिका

Updated: Jun 07, 2022, 02:29 PM IST

नरसिंहपुर। बीजेपी के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल मंगलवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आशीर्वाद लेने श्रीधाम स्थित परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के आध्यात्मिक गुरु स्वरूपानंद सरस्वती से पटेल के इस मुलाकात को लेकर प्रदेश की सियासी गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो चुका है। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में कांग्रेस विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रह्लाद पटेल शंकराचार्य का दर्शन लाभ लेने अपने पिता मुलायम सिंह, छोटे भाई व विधायक जालम सिंह पटेल समेत परिवार के सभी सदस्यों के साथ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने राजराजेश्वरी मंदिर में पूजन अर्चन भी किया। यह मुलाकात इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि गुरु शिष्य के रिश्तों में पिछले 30 वर्षों से कड़वाहट चल रही थी। सन 1992 के बाद प्रह्लाद पटेल ने स्वामीजी के शरण में जाना छोड़ दिया था, इतना ही नहीं घरवालों को भी उनके पास जाने से रोक दिया था। लोग बता रहे हैं कि शंकराचार्य के दर्शन के बाद केंद्रीय मंत्री पटेल भावुक दिखे।

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प्रह्लाद पटेल ने इस मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि, 'मेरे पिता शंकराचार्य के दीक्षित शिष्य हैं। स्वयं मैने भी भी बचपन में ही उनसे ही दीक्षा ली है। आज तीस वर्ष बाद यहां आया। तीन दशक पहले ऐसा कोई साल नहीं बीतता था जब हम लोग यहां न आए हों। पढ़ाई के वक्त हर साल यहां पिकनिक मनाने आते थे। राजनीति करने लगे तो भी हम परमहंसी कार्यकर्ताओं के साथ यहां आते थे। महाराजजी स्वस्थ रहें, शतायु हों, मां भगवती से बस यही प्रार्थना है।'

इस मुलाकात को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। सिंह ने ट्वीट किया, 'बहुत बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री प्रल्हाद पटेल जी। आप पिता जी व परिवार जनों के साथ जगदगुरू द्वारका व जोशीमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के दर्शन के लिए परमहंसी आश्रम पहुँचे और आशीर्वाद लिया। धर्म में कोई राजनीति नहीं होती। 
यह केवल हर व्यक्ति की आस्था पर निर्भर करता है।
सभी धर्मों का सम्मान करना ही भारतीय संस्कृति है।'

जानकारी के मुताबिक परमहंसी आश्रम में वे करीब डेढ़-पौने दो घंटे तक रहे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती से भी मुलाकात की और भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता के भी दर्शन किए और विधिवत पूजा-अर्चना भी की। परिसर के अन्य मंदिरो में भी दर्शन-पूजन किया। इस मौके पर उनके साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व गोटेगांव के कांंग्रेस विधायक एनपी प्रजापति भी मौजूद रहे।

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प्रहलाद पटेल की ओर से भले ही इसे शिष्टाचार भेंट कहा जाए लेकिन दिग्विजय सिंह के आध्यात्मिक गुरू शंकराचार्य से हुई इस मुलाकात के अनेक मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकार मान रहे हैं कि प्रह्लाद पटेल और उनके भाई जालिम पटेल की बीजेपी में उपेक्षा हो रही है। शीर्ष नेतृत्व की भी उनसे नाराजगी की चर्चा तब होने लगी थी जब पेगासस स्पाइवेयर के संभावित टारगेट में उनका नाम सामने आया था। चूंकि उनके गृहक्षेत्र में शंकराचार्य जी का काफी प्रभाव है, इसलिए 30 वर्षों का कड़वाहट खत्म कर वह द्विपिठाधीश्वर की शरण में आए। अब देखना ये होगा कि जगतगुरु शंकराचार्य से आशीर्वाद लेकर पटेल प्रदेश की राजनीति में क्या नया मोड़ लाते हैं।