2019 में हर घंटे एक विद्यार्थी ने की आत्महत्या, ढाई दशक में सबसे ज़्यादा

NCRB Data on Suicide: एक साल में 10.335 स्टू़डेंट्स ने की खुदकुशी, तनाव और मानसिक अस्वस्थता के साथ ड्रग की लत रही जिम्मेदार

Updated: Sep 08, 2020, 04:06 AM IST

Photo Courtesy: Trusted
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नई दिल्ली। साल 2019 में हर घंटे एक विद्यार्थी ने आत्महत्या की। साथ ही साल 2019 में विद्यार्थियों की आत्महत्या का आंकड़ा पिछले 25 साल में सर्वाधिक रहा। इस साल 10,335 विद्यार्थियों ने अपनी जान ले ली। जनवरी, 1995 से दिसंबर, 2019 के बीच देश में कुल 1.7 लाख विद्यार्थिओं ने आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार आधे से अधिक आत्महत्या के मामले पिछले एक दशक में सामने आए।

राज्यों की अगर बात करें तो 2019 में -

विद्यार्थियों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र 1,487 आंकड़ों के साथ पहले स्थान पर रहा।

मध्य प्रदेश के 927 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की।

तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के क्रमश: 914, 673 और 603 विद्यार्थियों ने अपनी जान ले ली।

विद्यार्थियों की आत्महत्या में इन राज्यों का हिस्सा 44 प्रतिशत रहा। 

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि डिप्रेशन, मानसिक स्वास्थ्य और ड्रग्स की लत इन आत्महत्याओं की मुख्य वजह रही। 

आंकड़ों के अनुसार 2019 में कुल हुई आत्महत्याओं में विद्यार्थियों का हिस्सा 7.5 प्रतिशत रहा। हालांकि, 2017 में यह हिस्सा 7.6 प्रतिशत था। 

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एक बाल अधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि 10 से 12 साल के विद्यार्थी अपनी चिंता दूर करने के लिए सही रास्ते नहीं खोज पाते हैं। ऐसे में उनके लिए तनाव को व्यवस्थित कर पाना और उसे खत्म कर पाना मुश्किल हो जाता है। 

1995 से 2019 के बीच देश में हुई कुल आत्महत्याओं में विद्यार्थियों का हिस्सा औसतन 5.5 प्रतिशत रहा है। 2014 के बाद से आत्महत्याओं के मामले हर साल 6 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। नौकरी की कमी और सुरक्षित भविष्य की चिंता युवाओं की आत्महत्या के पीछे सबसे बड़ा कारण माने जा रहे हैं। 

10 सितंबर को जब दुनिया suicide prevention day मना रही होगी, अनेक युवा अपना जीवन जीने से पहले ही समाप्त कर चुके हैं।