बजरंग पुनिया के बाद अब वीरेंद्र सिंह लौटाएंगे पद्मश्री, कहा- मुझे बहन साक्षी मलिक पर गर्व है
मैं अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री भी लौटा दूंगा, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, मुझे आपकी बेटी और मेरी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है. लेकिन मैं देश के शीर्ष खिलाड़ियों से भी अपील करूंगा कि वे अपना फैसला भी दें: वीरेंद्र सिंह

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष संजय सिंह को बनाए जाने के बाद से एक बार फिर से पहलवानों का गुस्सा फूट पड़ा है। पहले ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया तो उसके बाद पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया। अब इस कड़ी में एक और पहलवान का नाम जुड़ गया है। रेसलर वीरेंद्र सिंह ने पहलवानों का समर्थन करते हुए अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस लौटाने की बात कही है।
वीरेंद्र सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर ट्वीट करके लिखा, 'मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लौटा दूंगा। मुझे आपकी बेटी और अपनी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है। इसके अलाव देश के सबसे उच्च खिलाड़ियों से भी अनुरोध करुंगा कि वो भी इस पर अपना निर्णय दें।'
मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पदम् श्री लौटा दूँगा, माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी को, मुझे गर्व है आपकी बेटी और अपनी बहन @SakshiMalik पर... जी क्यों...?
— Virender Singh (@GoongaPahalwan) December 22, 2023
पर देश के सबसे उच्च खिलाड़ियों से भी अनुरोध करूँगा वो भी अपना निर्णय दे...@sachin_rt @Neeraj_chopra1 pic.twitter.com/MfVeYdqnkL
इससे पहले शुक्रवार को रेसलर बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपना पद्मश्री लौटा दिया था। उन्होंने पहले बजरंग पूनिया ने ट्वीट करके जानकारी दी थी और फिर दिल्ली में पीएम हाउस के बाहर फुटपाथ पर अपना पदक रख दिया था।
बता दें कि 21 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष का ऐलान हुआ था। पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। इसके बाद ही पहलवानों में फिर आक्रोश देखने को मिला। जिसके बाद साक्षी मलिक ने मीडिया के सामने आकर कहा कि हम चाहते थे कि भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष किसी महिला को बनाया जाए लेकिन फिर से बृजभूषण जैसे आदमी को ही अध्यक्ष बना दिया। हमने बृजभूषण के खिलाफ 40 दिन तक लड़ाई लड़ी, लेकिन हमें इंसाफ नहीं मिला।