विशेष सत्र से पहले सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, महंगाई, मणिपुर हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की मांग

संसद के विशेष सत्र को लेकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने इस खत में लिखा है कि पहली बार संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया।

Updated: Sep 06, 2023, 01:56 PM IST

नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने इस खत में लिखा है कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया। सोनिया गांधी ने विशेष सत्र के दौरान सरकार महंगाई, भारत-चीन बॉर्डर विवाद और मणिपुर जैसे गंभीर मामलों पर चर्चा करने की मांग की है।

कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 24 पार्टियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह लेटर भेजा है। सोनिया गांधी ने संसद के विशेष सत्र में आर्थिक स्थिति, किसान संगठनों के साथ समझौते, अडानी समूह के खुलासे, जातीय जनगणना की मांग, संघीय ढांचे पर हमले, प्राकृतिक आपदा के प्रभाव, चीन के साथ सीमा पर तनाव, देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग की है।

सोनिया गांधी गांधी ने पत्र में लिखा, "यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बिना बुलाया गया है। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमें केवल इतना बताया गया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि रचनात्मक सहयोग की भावना से इन मुद्दों को आगामी विशेष सत्र में उठाया जाएगा।"

पीएम मोदी को लिखे पत्र में इन 9 मुद्दों का है जिक्र

1. देश की मूजादा आर्थिक स्थिति, कमर तोड़ महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, MSME की परेशानी, इन पर बहस हो।

2. किसान आंदोलन के दौरान जो किसानों के साथ सरकार और किसानों के बीच समझौता हुआ उस पर क्या कार्रवाई हुई? एमएसपी पर लीगल गारंटी को लेकर सरकार की क्या मंशा है? इस पर चर्चा हो।

3. अडानी ग्रुप को लेकर जो खुलासे हुए हैं, उसकी जांच हो। इस मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन हो।

4. जातीय जनगणना होना जरूरी है। इसे कराया जाए।

5. संघीय ढाचे पर जो आक्रमण हो रहा है। केंद्र और राज्यों के रिश्ते को लेकर जो कई राज्यों ने चिंता जताई है, इस पर चर्चा कराई जाए।

6. प्राकृतिक आपदाओं में राज्य सरकारों की भूमिका तो है, लेकिन अहम भूमिका केंद्र सरकार की होती है। राहत केंद्र सरकार से आता है। इस पर संसद में चर्चा हो।

7. लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में हमारी सीमाओं पर गंभीर समस्याएं पैदा हुई हैं। इस मुद्दे पर तीन साल से बहस नहीं हो पाई है। एक शब्द नहीं बोला गया। इस पर बहस होनी चाहिए।

8. जो सांप्रदायिक तनाव है अलग-अलग राजों में इस पर चर्चा हो।

9. मणिपुर में चार महीने से हिंसा हो रही है। लाखों लोग पीड़ित और विस्थापित हैं। अगर हालात सामान्य तो फिर इम्फाल घाटी में 5 दिन का कर्फ्यू क्यों?