Farmers Protest Live Updates: सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों पर FIR, कृषि कानूनों को BKU ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

दिल्ली पुलिस ने किसानों के ख़िलाफ़ कोरोना गाइडलाइन्स तोड़ने समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया है, जबकि किसान 12 दिसंबर से आंदोलन और तेज़ करने की तैयारी कर रहे हैं

Updated: Dec 11, 2020 06:38 PM IST

Live Updates

किसानों ने कृषि क़ानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

कृषि कानून का मसला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में तीनों ही कृषि कानूनों को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में इसे मिलाकर अब कृषि कानूनों के खिलाफ कुल 6 याचिकाएं दायर हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 12 अक्टूबर को ही केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। उम्मीद है कि इस मामले की सुनवाई दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हो सकती है।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज

सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने, महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज़ किया गया है। दिल्ली चलो के नारे से साथ आए किसानों को देश की राजधानी में घुसने से रोका गया तो वे पिछले दो हफ्ते से सिंघु बॉर्डर पर बैठे हैं। किसानों के खिलाफ एफआईआर अलीपुर थाने में 7 दिसंबर को दर्ज की जा चुकी है, लेकिन उसकी जानकारी आज सामने आई है। 

क़ानून रद्द नहीं हुए तो रेल रोकेंगे : किसान नेता

क़ानून रद्द नहीं हुए तो रेल रोकेंगे : किसान नेता

Photo Courtesy: Twitter/ANI

कृषि मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं मानते हैं और तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करते हैं, तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं की आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारत के सभी लोग रेल की पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करके उसका एलान करेगा।

किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि बीजेपी नेताओं और मंत्रियों को एक जैसी बात करनी चाहिए। अभी तो प्रधानमंत्री कुछ कहते हैं, गृहमंत्री कुछ अलग बोलते हैं और कृषि मंत्री कुछ और ही बोल रहे हैं। हमारी विनती है कि जिस तरह हम एकजुटहैं, वैसे ही हमारी चुनी हुई सरकार को भी एकजुट होकर किसानों के पक्ष में फैसला करना चाहिए।

केंद्र ने माना उनका क़ानून ट्रेडर्स के लिए है : किसान नेता

कृषि मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र ने माना कि उनका कानून ट्रेडर्स के लिए है। यदि कृषि राज्य का मामला है, तो कानून बनाना उनका अधिकार नहीं है।भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार का इंटरेस्ट सिर्फ विरोध खत्म करवाने में है। लेकिन आंदोलन तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक कि तीनों कानूनों वापस नहीं ले लिए जाएं। टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अलग से बिल लाने की मांग भी की। भारतीय किसान यूनियन के नेता मंजीत सिंह ने कहा है कि सरकार हमारे आंदोलन को कमजोर करना चाहती है। लेकिन इसमें शामिल होने के लिए बहुत सारे किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। हम दिल्ली के लोगों से भी सपोर्ट की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान देशभर में हाईवे जाम करने की तैयारी कर रहे हैं।

कृषि मंत्री : सरकार ने किसानों की बातों पर खुले मन से विचार किया, अब भी वार्ता को तैयार

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कानून के वे प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है उन पर सरकार खुले मन से विचार करने पर सहमत है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह कानून वैध नहीं है, क्योंकि कृषि राज्य का विषय है, केंद्र को इस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। ऐसा समझने वालों को हम बताना चाहते हैं कि केंद्र को कृषि उत्पादों की ट्रेडिंग से जुड़े कानून बनाने का हक है और हमने वही किया है। इस कानून से एमएसपी कही से भी प्रभावित नहीं होती है। हमने प्रस्ताव दिया है कि राज्य सरकारें अपनी तरफ से निजी मंडियों से जु़ड़ी व्यवस्था बना सकती है, उन पर टैक्स भी लगा सकती हैं। 

अभी किस मोड़ पर है किसान आंदोलन, जानिए कुछ ख़ास बातें

अभी किस मोड़ पर है किसान आंदोलन, जानिए कुछ ख़ास बातें

Photo Courtesy: Newstrack

  1. किसान नेताओं ने कहा है कि अगर तीनों कानून रद्द नहीं किए गए तो एक के बाद एक दिल्ली की सड़कों को बंद किया जाएगा।

  2. किसान नेताओं ने ये संकेत भी दिए हैं कि वे सिंघु बॉर्डर पार कर दिल्ली में प्रवेश करने का फैसला कर सकते हैं।

  3. किसान नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार से अगले दौर की वार्ता पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।

  4. किसानों ने 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाइवे और आगरा-दिल्ली एक्सप्रेस-वे बंद करने का एलान किया है। ये भी कहा है कि उस दिन देश के किसी भी टोल प्लाजा पर कोई टैक्स नहीं दिया जाएगा।

  5. किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में 14 दिसंबर को राज्यों में जिला मुख्यालयों का घेराव करने का एलान किया है। 

  6. किसानों ने बीजेपी के कार्यालयों का घेराव करने का एलान भी किया है। 

  7. किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाने वाले अंबानी और अदाणी समूह के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार करने का एलान भी किया है।

  8. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है, लिहाजा कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा।

  9. सरकार ने किसानों को बुधवार को एक लिखित प्रस्‍ताव भेजा था, जिसे किसानों ने नामंजूर कर दिया है।

  10. गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को किसान संगठनों के 13 नेताओं से बातचीत की थी, लेकिन उसमें कोई समाधान नहीं निकल पाया। उसके बाद बुधवार को सरकार और किसानों के बीच होने वाली वार्ता रद्द कर दी गई थी।

  11. बुधवार को किसान आंदोलन की मांगों के समर्थन में विपक्ष के नेताओं ने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा और डीएमके नेता टीआर बालू शामिल थे।

किसान आंदोलन का 15 वां दिन, दिल्ली की सीमाओं पर अब डटे हैं लाखों किसान

किसान आंदोलन का 15 वां दिन, दिल्ली की सीमाओं पर अब डटे हैं लाखों किसान

Photo Courtesy: News 18

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन का आज 15वां दिन है। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अडिग लाखों किसान दिल्‍ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश, राजस्‍थान समेत कई राज्‍यों के किसानों ने राजधानी के बाहर डेरा डाला हुआ है। किसानों ने बुधवार को केंद्र सरकार का लिखित प्रस्ताव खारिज कर दिया। किसानों का कहना है कि उस प्रस्ताव में ऐसी कोई नई बात नहीं थी, जिससे उनकी आशंकाएं दूर हो जाएं। हालांकि किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अगर अब भी कोई नया और सार्थक प्रस्ताव भेजती है, तो वे उस पर विचार करने को तैयार हैं।

अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के तेवर और तीखे पड़ते देखकर सरकार भी सक्रिय हो गई है। किसान नेताओं की तरफ से सरकार के लिखित प्रस्ताव ठुकराने और आंदोलन को और तेज़ करने का एलान किए जाने के फौरन बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए हैं। 

बीजेपी नेताओं के साथ-साथ अंबानी, अदाणी भी अब किसानों के निशाने पर

मोदी सरकार के लिखित प्रस्तावों को खारिज़ करने के बाद किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को और तेज़ करने का एलान किया है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार जब तक तीनों नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, आंदोलन जारी रहेगा। इतना ही नहीं, किसानों ने आज ये एलान भी किया कि अपने आंदोलन को और तेज़ करते हुए अब बीजेपी नेताओं का घेराव भी शुरू करेंगे।

सरकार के खिलाफ जारी इस आंदोलन की एक खास बात यह है कि अब किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के करीबी कहे जाने वाले अंबानी और अदाणी उद्योग समूहों को भी घेरने का एलान कर दिया है। अपनी इस रणनीति के तहत अब किसान मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे। साथ ही अदाणी और अंबानी समूह से जुड़े सभी टोल प्लाज़ा का घेराव भी किया जाएगा। किसानों ने 12 दिसंबर तक जयपुर-दिल्ली हाईवे को रोक देने और 14 दिसंबर को पूरे देश में धरना-प्रदर्शन करने का एलान भी किया है। 

सरकार के लिखित प्रस्ताव ठुकराने का किसानों का एलान

सरकार के लिखित प्रस्ताव ठुकराने का किसानों का एलान

Photo Courtesy: Twitter/ANI

मोदी सरकार की तरफ से मिले लिखित प्रस्ताव को किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से खारिज कर दिया है। सरकार के प्रस्तावों पर किसान संगठनों की काफी देर तक चली बैठक के बाद किसान नेताओं ने इस फैसले का एलान किया। इसके साथ ही किसान नेताओं ने 12 दिसंबर तक दिल्ली-जयपुर हाईवे को बंद करने का एलान भी किया है। किसान नेताओं ने अपने इन फैसलों की जानकारी सिंघु बॉर्डर पर मीडिया को दी। 

विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिलने पहुँचे

विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिलने पहुँचे

Photo Courtesy: Twitter/ANI

विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंच गए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई महासचिव डी राजा शामिल हैं। विपक्षी नेताओं की राष्ट्रपति से मुलाकात का मकसद मोदी सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग का समर्थन करना है। 

राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले सीताराम येचुरी ने कहा कि 25 से ज्यादा विपक्षी दल तीनों कृषि कानूनों को वापस  लेने की किसानों की मांग का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून भारत के हिस में नहीं हैं और इनसे देश की खाद्य सुरक्षा को भी खतरा है। 

सरकार के लिखित प्रस्ताव पर किसानों की बैठक जारी

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान इस वक्त केंद्र सरकार की तरफ से मिले लिखित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के लिए बैठक कर रहे हैं। हालांकि बैठक से पहले मीडिया से बातचीत में किसान नेताओं में लिखित प्रस्ताव को लेकर कोई उत्साह नज़र नहीं आया। उन्होंने यही कहा कि हमारी मुख्य मांग कृषि कानूनों को वापस लेने की है, जबकि सरकार के प्रस्ताव में सिर्फ कुछ संशोधनों की बात की गई है। किसान नेता आज इस बात पर भी विचार कर रहे हैं कि सरकार के लिखित प्रस्ताव का जवाब लिखित रूप में दिया जाए या उस पर एक बार फिर सरकार से मुलाकात करके बात की जाए। अब से थोड़ी देर में किसान नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। 

सरकार ने किसानों को दिया लिखित प्रस्ताव

सरकार ने किसानों को दिया लिखित प्रस्ताव

Photo Courtesy: Twitter/ANI

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के पास केंद्र सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेज दिया है। अब इस प्रस्ताव पर किसान आपस में विचार विमर्श करके आगे की रणनीति तय करेंगे। इसी के आधार पर कल सरकार के साथ किसानों का संभावित बैठक में आगे की बातचीत होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंगलवार रात हुई किसानों की बैठक के बाद ही यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार अब किसानों को लिखित प्रस्ताव देगी। 

किसानों की कई मांगों पर सरकार झुकी, लेकिन क़ानून वापस लिए जाने के आसार नहीं

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के मसले पर विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हो रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में उन प्रस्तावों पर भी मुहर लगेगी, जो किसानों को भेजी जानी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार MSP और APMC के मामले में किसानों की बात मान सकती है। सरकार MSP पर लिखित भरोसा देने को तैयार है। किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग भी मानी जा सकती है। कहा जा रहा है कि सरकार पराली जलाने और बिजली अध्यादेश के मामले में भी किसानों की मांगों पर विचार करने को तैयार है। इस बारे में दोपहर 2 बजे सरकार की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किए जाने की संभावना है।

किसान आंदोलन के दबाव में सरकार के रुख में नरमी के इन संकेतों के बावजूद कोई समाधान निकल पाएगा या नहीं यह कह पाना फिलहाल आसान नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अब भी अडिग हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अब से थोड़ी देर पहले कहा कि 'किसानों की बैठक में केंद्र के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद आगे की रणनीति तय होगी, लेकिन किसान पीछे नहीं हटेंगे। क्या सरकार कानून वापस नहीं लेगी? क्या अत्याचार होगा? अगर सरकार जिद्दी है, तो किसान भी हैं। सरकार को कानून वापस लेना ही होगा।'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार रात 13 किसान नेताओं के साथ बैठक में सरकार की तरफ से साफ कर चुके हैं कि कृषि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होंगे। हालांकि सरकार किसानों को आज एक लिखित प्रस्ताव दे सकती है, जिसमें संशोधन की बात होगी।

सरकार के लिखित प्रस्ताव पर किसानों का रुख़ शाम 4-5 बजे तक साफ़ होगा : राकेश टिकैत

सरकार के लिखित प्रस्ताव पर किसानों का रुख़ शाम 4-5 बजे तक साफ़ होगा : राकेश टिकैत

Photo Courtesy: Twitter/ANI

केंद्र सरकार के लिखित प्रस्ताव पर किसान संगठनों का क्या रुख होगा, इसका पता आज शाम 4-5 बजे तक चल जाने की उम्मीद है। इससे पहले किसान संगठन लिखित प्रस्ताव बैठक करके उस पर आपस में विचार-विमर्श करेंगे। यह जानकारी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दी है। सरकार और किसानों के बीच आज कोई बैठक नहीं होगी। 

किसान आंदोलन में आज क्या-क्या होना है

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोल में आज कई अहम बातें होनी हैं। बीती रात किसान नेताओं के साथ गृह मंत्री अमित शाह की मुलाक़ात में कोई नतीजा तो नहीं निकला, लेकिन किसानों को सरकार की तरफ़ से एक लिखित प्रस्ताव दिए जाने की बात ज़रूर तय हुई है। आज यह लिखित प्रस्ताव किसानों को सौंपा जाएगा। इसके बाद किसान उस पर आपस में विचार करेंगे और फिर कल उनकी सरकार से बात होगी। मौजूदा हालात में आज कृषि मंत्री के साथ बैठक नहीं होगी। आज किसानों के मुद्दे पर विचार के लिए कैबिनेट की बैठक भी बुलाई गई है।

किसानों के मसले पर विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिलेगा। कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से इस प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ पांच नेताओं को शामिल किए जाने की इजाजत मिली है, जिनमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी शामिल हैं। विपक्ष का ये प्रतिनिधिमंडल शाम 5 बजे राष्ट्रपति से मिलेगा। 

अमित शाह के साथ किसानों की बैठक ख़त्म, बुधवार को लिखित प्रस्ताव देगी सरकार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं की बैठक मंगलवार देर रात तक चली। रात करीब 11 बजे बैठक में शामिल किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने बैठक से बाहर आकर बताया कि केंद्र सरकार अब बुधवार को किसानों को एक लिखित प्रस्ताव देगी, जिस पर किसान आपस में मंथन करेंगे। इसके बाद किसान नेताओं और सरकार के बीच गुरुवार को फिर से चर्चा होगी। हन्नान मोल्लाह ने ये भी बताया कि अब बुधवार को किसानों और कृषि मंत्री की वो बैठक नहीं होगी, जो पहले से प्रस्तावित थी। किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने ये भी बताया कि अमित शाह के साथ हुई बैठक में सरकार की तरफ से कोई नई बात सामने नहीं आई है। किसान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर मामला वहीं पर अटका हुआ है, जहां पहले अटका था। 

अब आगे क्या होगा

कुल मिलाकर किसानों और सरकार के बीच विचार-विमर्श का सिलसिला फिलहाल कुछ इस तरह चलने के आसार हैं:

- बुधवार को सरकार किसानों को एक नया प्रस्ताव देगी।

- बुधवार को दोपहर 12 बजे के आसपास किसान नेता सरकार के प्रस्ताव पर आपस में चर्चा करेंगे। 

- बुधवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच में पहले से प्रस्तावित वार्ता अब नहीं होगी।

- गुरुवार को सरकार और किसान नेताओं के बीच नए प्रस्ताव पर आगे बात होगी। 

 

किसान नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं अमित शाह

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के साथ गृह मंत्री अमित शाह की बैठक जारी है। इस बैठक में किसानों के 13 प्रतिनिधि शामिल हैं। बैठक शाम सात बजे शुरू होनी थी, लेकिन जगह को लेकर असमंजस के चलते देरी से शुरू हो सकी। मुलाकात से पहले किसान नेताओं ने कहा कि वे अमित शाह से कानून वापसी के बारे में सिर्फ हां या ना में जवाब मांगेंगे।

अमित शाह और किसानों के बीच बैठक की जगह तीन बार बदली

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह और किसानों के बीच बैठक की जगह को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। अमित शाह और किसान नेताओं की इस बैठक का स्थान पहले नॉर्थ ब्लॉक तय किया गया था। लेकिन बाद में इसे बदल कर अमित शाह के आवास पर आयोजित करने का फैसला लिया गया। अंतिम समय में बैठक के स्थान को लेकर फिर बदलाव हुआ है। अब यह बैठक पूसा संस्थान में होगी।

बैठक से पहले किसान नेताओं ने कहा है कि वे अमित शाह से मुलाकात के दौरान अपनी मांगों पर केवल ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब मांगेंगे। किसान नेता आरएस मनसा ने सिंघु बॉर्डर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बीच का कोई रास्ता नहीं है। हम आज की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से केवल हां या नहीं में जवाब देने को कहेंगे।'  गृह मंत्री अमित शाह के साथ यह किसान नेताओं की पहली मुलाकात है।

इन 13 नेताओं की मुलाकात
किसान नेता हन्नान मोल्लाह, शिवकुमार कक्का, बलवीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह, मंजीत सिंह राय, बोध सिंह मानसा, रुलदू सिंह, बूटा सिंह, शिव कुमार, दर्शन पाल और हरिंदर सिंह गृह मंत्री से मिल रहे हैं।

सरकार संसदीय प्रक्रिया का पालन करती तो ये नौबत नहीं आती: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि अगर कृषि कानूनों के मसले पर मोदी सरकार ज़िद से काम न लेती और संसदीय प्रक्रिया का पालन किया जाता तो ऐसी नौबत नहीं आती। गहलोत ने कहा कि कृषि कानूनों पर सरकार की ज़िद के कारण संसद के अंदर तमाशे हुए, विपक्ष की बात नहीं सुनी गई, जल्दी में कानून बना दिए गए। इसकी बजाय अगर मोदी सरकार संसदीय प्रक्रिया का सम्मान करती और कानून बनाने से पहले ही किसानों से बात करती तो आज देश के किसानों को सड़कों पर उतरकर आंदोलन न करना पड़ता।

कल शाम राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्षी नेता

किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल कल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेगा। कोरोना प्रोटोकॉल के कारण इस प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ पांच नेता रहेगे। इन नेताओं में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार शामिल होंगे। ये जानकारी आज सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने मीडिया को दी।

अमित शाह ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया

अमित शाह ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया

Photo Courtesy: Live Hindustan

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक किसान नेता अब से कुछ देर में दिल्ली के लिए रवाना होंगे। बताया जा रहा है कि इन किसान नेताओं से केंद्रीय गृह मंत्री की मुलाकात आज शाम 7 बजे होगी। किसान नेता राकेश टिकैत ने ये जानकारी मीडिया को दी है। टिकैत ने कहा, 'हम अभी सिंघु बॉर्डर जा रहे हैं, वहां से गृह मंत्री से मीटिंग के लिए रवाना होंगे।' उधर, किसानों ने 4 घंटे चक्काजाम के बाद अब सड़कों से हटना शुरू कर दिया है।

 

 

 

नेशनल मूवमेंट फ़्रंट ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया

भारत के राष्ट्रीय आंदोलन की विरासत को जिंदा रखने और उसे आगे बढ़ाने में लगे संगठन नेशनल मूवमेंट फ्रंट ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। आंदोलन के संयोजक सौरभ वाजपेयी ने देश के लोगों से अनुरोध किया है कि वे बंद से होने वाली कठिनाइयों को यह समझकर सहन कर लें कि जिन किसानों का उपजाया अन्न हमारे शरीर में लहू बनकर दौड़ता है, उनके लिए आज जीवनमरण का प्रश्न है। इतना ही नहीं, आखिरकार तो यह हम सभी लोगों के जीवन-मरण का सवाल है। इस आंदोलन में नेशनल मूवमेंट फ्रंट पूरी तरह से अपने अन्नदाताओं के साथ खड़ा है। 

गांधीवादी संगठनों ने उपवास रखकर किया किसान आंदोलन का समर्थन

गांधीवादी संगठनों ने उपवास रखकर किया किसान आंदोलन का समर्थन

देश की प्रमुख गांधीवादी संस्था गांधी स्मारक निधि ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। संस्था के अध्यक्ष और वरिष्ठ गांधीवादी विचारक रामचंद्र राही ने कहा है कि देश में चल रहा किसान आन्दोलन भारतीय संस्कृति की बुनियाद को बचाने का अभियान है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ऋषि और कृषि की बुनियाद पर टिकी है। लेकिन बड़े कॉरपोरेट  और उनके समर्थक-प्रचारक इसे नष्ट करने पर उतारू हैं। किसान आंदोलन इसी के खिलाफ देश को बचाने की मुहिम है। उन्होंने बताया कि देश भर में गांधीजनों ने 7 दिसंबर को पूरे दिन का उपवास रखकर इस आन्दोलन के प्रति अपनी एकजुटता घोषित की है। 

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन

भारत बंद के दौरान गाजीपुर-गाजियाबाद (दिल्ली-यूपी) बॉर्डर पर किसानों ने प्रदर्शन किया। यहां किसानों ने चक्का जाम किया हुआ है। यहां किसानों का कहना है कि अगर सरकार कानून बना सकती है तो उसे रद्द भी कर सकती है। किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा जब सरकार हमारी मांगें मान लेगी।

 

 

 

किसानों के भारत बंद को मुंबई डिब्बावाला एसोसिएशन का समर्थन 

किसानों के भारत बंद को मुंबई डिब्बावाला एसोसिएशन का समर्थन 

Photo Courtesy: Twitter/ANI

मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तालेकर ने कहा है कि केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानून देश के किसानों को खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि देश के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। तालेकर ने कहा कि मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन इस भारत बंद का समर्थन करता है।

 

 

 

जयपुर में बीजेपी-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में टकराव

जयपुर में बीजेपी-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में टकराव

Photo Courtesy: Live Hindustan

जयपुर में आज भारत बंद के दौरान कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में टकराव हो गया। खबर है कि बंद के दौरान कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI के कार्यकर्ताओं बीजेपी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मोदी का पुतला जलाने लगे। बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने मोदी का पुतला जलाने का विरोध किया। इसी दौरान दोनों तरफ के कार्यकर्ता आपस में उलझ गए। देखते-देखते यह हंगामा हाथापाई में बदल गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। करीब आधे घंटे तक हुए हंगामे के बाद NSUI कार्यकर्ताओं ने मोदी का पुतला फूंका और वापस लौट आए। एहतियात के तौर भाजपा मुख्यालय पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई है।

प्रयागराज में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रेल रोकी

प्रयागराज में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रेल रोकी

Photo Courtesy: Twitter/ANI

उत्तर प्रदेश में किसानों के भारत बंद करा समर्थन करते हुए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रयागराज में रेल रोक दी। कई कार्यकर्ता तो ट्रेन के आगे रेल की पटरियों पर ही लेट गए। समाजवादी पार्टी समेत देश के अधिकांश प्रमुख विपक्षी दलों ने किसानों के भारत बंद के समर्थन का एलान किया है।

बिहार में भारत बंद का असर, सुपौल में रोकी ट्रेन, NH किया जाम

बिहार में भारत बंद का असर, सुपौल में रोकी ट्रेन, NH किया जाम

Photo Courtesy: Twitter/ANI

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के भारत बंद का असर बिहार में भी दिख रहा है। राज्य के सुपौल में आज सुबह आरजेडी, लेफ्ट और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर सुबह करीब 8 बजे ही लोहिया नगर रेलवे ढाला  पर ट्रेनें रोक दीं। प्रदर्शनकारियों ने किसानों के समर्थन में एनएच 327 को भी जाम कर दिया। बंद समर्थकों ने कृषि कानूनों को फौरन वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा जैसी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

मोदी अपनी ज़िद छोड़ें, किसान विरोधी क़ानून वापस लें: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज़िद छोड़कर तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील की है। दिग्विजय सिंह ने किसानों के हित में कानून बनाने के लिए साझा संसदीय समिति बनाने का अहम सुझाव भी दिया है। इसके साथ ही उन्होंने आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत और उनके भारतीय किसान संघ से किसानों के भारत बंद में सहयोग करने की अपील भी की है। 

 

दिग्विजय सिंह ने देश के लोगों से किसानों के बुलाए भारत बंद में पूरा सहयोग करने की अपील भी की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "किसान मेहनत कर हमारा पेट भरता है। इसीलिए उसे अन्नदाता कहते हैं। पहली बार हमसे आज केवल सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक का समय माँग रहा है। क्या आप उनके लिए इतना भी नहीं कर पाएँगे? आज भारत बंद में उनका सहयोग करें।"

इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने किसानों का समर्थन करने वाली एक कविता का लिंक भी शेयर किया है।
 

 

 

भारत बंद का असर शुरू, महाराष्ट्र में ट्रेन रोकी गई

भारत बंद का असर शुरू, महाराष्ट्र में ट्रेन रोकी गई

Photo Courtesy: Bhaskar

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने ‘भारत बंद रेल रोको’ के तहत थोड़ी देर के लिए ट्रेन रोकी। बाद में प्रदर्शनकारियों को पटरी से हटाकर हिरासत में ले लिया गया।

आज पंजाब में पेट्रोल पंप भी बंद रहेंगे

पंजाब में किसान आंदोलन को बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है। राज्य के छोटे दुकानदार भी बंद के समर्थन में हैं। यहां आज पेट्रोल पंप भी सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक बंद रहेंगे। पंजाब पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के प्रमुख परमजीत सिंह इसका एलान कर चुके हैं। हालांकि इमरजेंसी सेवाओं और उससे जुड़ी गाड़ियों को पेट्रोल पंप से पेट्रोल-डीज़ल मिलता रहेगा। पंजाब में 3470 पेट्रोल पंप हैं, जिनमें हर दिन 4 लाख लीटर से ज्यादा पेट्रोल-डीज़ल बिकता है।

राजस्थान में अनाज मंडियां बंद रहेंगी

राजस्थान में किसान संगठनों और मंडी कारोबारियों ने भारत बंद का समर्थन किया है। यहां पेट्रोल पंप, अस्पताल, मेडिकल शॉप्स सहित जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी सब कुछ बंद रहेगा। जयपुर में प्रदेश की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी मुहाना टर्मिनल भी आज बंद रहेगी। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने भी बंद का समर्थन करते हुए प्रदेश की सभी 247 अनाज मंडियों को बंद रखने की अपील की है। 

हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने परीक्षाएं टालीं

हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने आज यानी 8 दिसंबर को होने वाली सारी परीक्षाएं टाल दी हैं। इन परीक्षाओं का नया शेड्यूल छात्रों को बाद में बताया जाएगा। 9 दिसंबर की परीक्षाएं समय पर होंगी।

भारत बंद से पहले किसानों का एलान, कानून वापसी से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं

मोदी सरकार को हमारी मांगें माननी होंगी। हम नए कृषि कानूनों को वापस लेने से कम किसी समाधान को स्वीकार नहीं करेंगे। भारत बंद से पहले ये संकल्प किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने जाहिर किया है।

आपको बता दें कि बंद के अगले ही दिन यानि कल किसान नेताओं और सरकार के बीच फिर से बातचीत होगी। इससेे पहले शनिवार को हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया था, क्योंकि सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। 

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर 12 दिन से डटे किसानों के आज बुलाए गए भारत बंद में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक चक्का जाम रहेगा। कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, लेफ्ट, सपा और ‘आप’ समेत 18 से ज्यादा विपक्षी दल किसानों के इस भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का भारत बंद, जगह-जगह से मिल रहा समर्थन

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का भारत बंद, जगह-जगह से मिल रहा समर्थन

Photo Courtesy: Hindustan Times

मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का एलान किया है। उनके इस एलान को ट्रेड यूनियन्स, टैक्सी यूनियन्स, बॉलीवुड के कई सेलेब्रिटीज़ और देश के लगभग सभी विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है। रेलवे यूनियन्स ने भी बंद का पूरी ताकत से समर्थन करने का एलान किया है। रेलवे यूनियन्स ने सोमवार को एलान किया कि वे न सिर्फ बंद का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि उनकी तरफ से किसानों का साथ देने के लिए जगह-जगह रैलियां और प्रदर्शन भी किए जाएंगे। 

किसानों के इस भारत बंद को अब तक 8 राज्यों की सरकारों का समर्थन मिल चुका है। ये राज्य हैं, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र। इन सभी राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी किसानों की मांगों का तो समर्थन किया है, लेकिन भारत बंद को समर्थन नहीं दिया है। इस बीच, किसान संगठनों ने भी साफ कर दिया है कि भारत बंद के दौरान किसानों के मंच पर किसी भी राजनीति दल के नेता को जगह नहीं दी जाएगी।

भारत बंद में चक्काजाम सिर्फ़ सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक रहेगा

भारत बंद में चक्काजाम सिर्फ़ सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक रहेगा

Photo Courtesy: Jagran

किसान संगठन 8 दिसंबर को अपने भारत बंद के एलान के बावजूद ऑफिस जाने वाले लोगों की सुविधा का ख्याल भी रखना चाहते हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत बंद के तहत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक ही चक्काजाम किया जाएगा, ताकि आम लोगों को दफ्तर जाने और वहां से लौटने में कोई परेशानी न हो।