पूरे विश्व में लहराता था बिहार की शिक्षा का परचम, BJP-JDU ने इसे बर्बाद कर दिया, पटना में बोले दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने कहा कि बिहार एक जमाने में शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। यहां नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे, जहां विदेश से छात्र शिक्षा लेने आते थे। आज सबसे कम ग्रॉस एनरोलमेंट रेट बिहार की है।

Updated: Jun 29, 2025, 04:14 PM IST

पटना। विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। कांग्रेस के कद्दावर नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पटना दौरे पर हैं। सिंह ने यहां मीडिया से बातचीत के दौरान राज्य की बदहाली को लेकर भाजपा और जेडीयू की सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

दिग्विजय सिंह ने सदाकत आश्रम में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि एक समय था जब बिहार की शिक्षा का परचम पूरे विश्व में लहराता था। नालंदा विश्वविद्यालय हो या विक्रमशिला विश्वविद्यालय—तिब्बत, चीन, जापान, कोरिया, सुमात्रा, मंगोलिया आदि देशों से विद्यार्थी यहाँ शिक्षा लेने आते थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) और इ-त्सिंग (Yijing) ने इसके वैभव की बहुत प्रशंसा की थी। आज उसी बिहार को भाजपा और जेडीयू की सरकार ने युवाओं के भविष्य बेचने का केंद्र बना दिया है। भर्ती, प्रवेश परीक्षा के घोटाले, जर्जर स्कूल भवन और युवाओं का पलायन—ये बिहार की शिक्षा का भाग्य बन गए हैं।

सिंह ने कहा कि आज सबसे कम ग्रॉस एनरोलमेंट रेट बिहार की है, जहां राष्ट्रीय औसत 56.2% है। वहीं बिहार का एनरोलमेंट रेशियो बस 30% है, यानी की 100 में से सिर्फ 30 बच्चे ही स्कूल जा रहे हैं। आठवीं पास होने के बाद केवल 45.6% ही बच्चे आगे कक्षा में एडमिशन लेते हैं। 10वीं पास होने के बाद बस 20% स्टूडेंट ही आगे पढ़ाई के लिए नामांकन करवाते हैं। बिहार में उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। यहां 1 लाख की आबादी पर 7 कॉलेज हैं। यानी बिहार के अधिकांश छात्रों को बिहार से बाहर जाकर पढ़ाई करना पड़ता है।

सिंह ने कहा कि बिहार में 78000 स्कूल है, उसमें से सिर्फ 5000 स्कूलों में कंप्यूटर है। वहीं, 16500 स्कूलों में बिजली नहीं है जिसकी वजह से वहां कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं होता है। आज IT और कंप्यूटर का जमाना है। मगर बिहार के बच्चों को इस शिक्षा से दूर रखा जा रहा है। इसके अलावा बिहार में ऐसे 117 स्कूल है जहां पर एक भी छात्रों का एडमिशन नहीं हुआ है, लेकिन इन स्कूलों में 544 शिक्षक तनख्वाह उठा रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि जितने पेपर लीक बिहार में होते हैं उतने किसी भी प्रांत में नहीं होते। बिहार में अभी यह बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुका है। भाजपा जदयू की सत्ता की सरपरस्ती में सरकारी भर्तियां और प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले का काम चल रहा है। 7 सालों में 10 से अधिक परीक्षा में पेपर लिखकर मामले सामने आए हैं। 2017 में सिपाही भर्ती की परीक्षा में पेपर लीक हुआ था। इसमें 21 FIR दर्ज हुई थी, जिसकी जांच अभी भी चल रही है। NEET में भी नेशनल स्कैम हुआ था, उसकी उत्पत्ति बिहार में हुई थी।

बता दें कि सिंह शनिवार को पटना पहुंचे थे। शनिवार शाम उन्होंने राबड़ी आवास पर लालू यादव और तेजस्वी से मुलाकात की। सिंह ने लालू यादव से मुलाकात को लेकर कहा कि अनुरोध किया है कि वह मल्लिकार्जुन खड़गे से बात करें और इंडिया एलायंस के पार्टनर्स की तत्काल बैठक बुलानी चाहिए और इलेक्शन कमीशन से मिलना चाहिए। सिंह ने कहा कि हम अपनी मांगों को लेकर इलेक्शन कमीशन को आवेदन देंगे। अगर वह नहीं माने तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर चुनाव आयोग सवालों के घेरे में है।