गांधी की हत्या करने वाली विचारधारा के खिलाफ लड़ाई जारी, सभी लोग इस संघर्ष में शामिल हों: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा भय, घृणा और विभाजन की राजनीति के खिलाफ भारतीय लोगों की शांत और दृढ़ आवाज है। सत्ता में बैठे लोगों के लिए गांधी जी की विरासत को हथियाना सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन उनके नक्शेकदम पर चलना कहीं अधिक कठिन है।

Updated: Oct 02, 2022, 02:23 PM IST

मैसूर। "भारत जोड़ो यात्रा" का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर उनकी हत्या का मुद्दा उठाते हुए सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों से शामिल होने का आह्वान किया। राहुल गांधी ने कहा कि, 'आज हम उसी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई शुरू कर रहे हैं, जिसने गांधी की हत्या की थी। इस विचारधारा ने पिछले आठ वर्षों में असमानता, विभाजन और हमारी कड़ी मेहनत से प्राप्त स्वतंत्रता का क्षय किया है।'

गांधी जयंती के मौके पर राहुल गांधी ने कर्नाटक के बदनवालु खादी ग्रामोद्योग केंद्र का दौरा किया, जहां महात्मा गांधी ने 1927 में दौरा किया था। राहुल गांधी ने कहा कि, 'हम भारत के उस महान सपूत को याद कर रहे हैं और उन्हें नमन करते हैं। हमारी याद इस बात से और भी मार्मिक हो जाती है कि हम भारत जोड़ो यात्रा के 25वें दिन में हैं, एक पदयात्रा, जिसमें हम उनके अहिंसा, एकता, समानता और न्याय के मार्ग पर चल रहे हैं।'

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उन्होंने आगे कहा कि, 'हिंसा और असत्य की इस राजनीति के खिलाफ भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक अहिंसा और स्वराज के संदेश का प्रसार करेगी। स्वराज के कई अर्थ हैं। यह हमारे किसानों, युवाओं और छोटे और मध्यम उद्यमों की इच्छा और भय से मुक्ति है। यह हमारे राज्यों की स्वतंत्रता है कि वे अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल करें और हमारे गांवों में पंचायती राज का अनुपालन करें। यह स्वयं पर भी विजय है, चाहे वह भारत यात्री हों, जो पैदल 3,600 किमी की यात्रा कर रहे हों या लाखों नागरिक जो कम समय के लिए इस यात्रा से जुड़ रहे हों।'

राहुल गांधी ने कहा, 'भारत जोड़ो यात्रा भय, घृणा और विभाजन की राजनीति के खिलाफ भारतीय लोगों की शांत और दृढ़ आवाज है। सत्ता में बैठे लोगों के लिए गांधी जी की विरासत को हथियाना सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन उनके नक्शेकदम पर चलना कहीं अधिक कठिन है।' उन्होंने आगे कहा कि, 'बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे पहले ही यात्रा में भाग ले चुके हैं। उनमें से कई का मानना है कि गांधीजी ने जिन मूल्यों के लिए अपना जीवन दिया वो आज खतरे में हैं। मैसूर से कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान मैं भारत भर के अपने साथी नागरिकों से अहिंसा और सद्भावना की भावना पर चलने का अनुरोध करता हूं।'