आर्थिक विकास में पूरी तरह फेल रहे हैं मोदी: BJP सांसद ने प्रधानमंत्री को सुनाई खरीखोटी

भाजपा के राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पीएम मोदी 8 साल के अपने कार्यकाल में देश के आर्थिक विकास के मामले में पूरी तरह फेल साबित हुए हैं

Updated: Apr 19, 2022, 12:01 PM IST

Photo Courtesy: Theprint
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नई दिल्ली। बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खरीखोटी सुनाते हुए कहा है कि वे आठ साल के अपने कार्यकाल में में पूरी तरह फेल साबित हुए हैं। दिग्गज नेता ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा है कि ज्ञान भी उसे ही दी जाती है जिसमें श्रद्धा हो।

सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार सुबह एक ट्वीट में लिखा कि, 'पिछले आठ वर्षों के कार्यकाल में मोदी आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में फेल रहे हैं। साल 2016 के बाद से विकास दर में हर साल गिरावट आई है। राष्ट्रीय सुरक्षा भी बड़े स्तर पर कमजोर हुई है।  प्रधानमंत्री मोदी इस कदर चीन को लेकर अंजान बने हुए हैं जिसकी कोई व्याख्या नहीं की जा सकती है। अब भी चीजें पटरी पर लाने की गुंजाइश है। लेकिन क्या मोदी जानते हैं कि इसका समाधान कैसे निकाला जा सकता है?'

स्वामी के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर ने पूछा कि वह इन मुद्दों को हल करने के लिए क्या सुझाव देंगे, तो बीजेपी सांसद ने चुटीले अंदाज में जवाब दिया कि प्राचीन काल के ऋषियों ने सलाह दी है कि ज्ञान उन्हें ही चाहिए जिनके पास इसे प्राप्त करने के लिए श्रद्धा हो।'
बीजेपी सांसद इस बात को खारिज किया है कि देश में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कोई और बेहतर विकल्प नहीं था। 

दरअसल, एक अन्य यूजर ने एक यूजर ने कमेंट में लिखा कि मैं आपकी टिप्पणी से पूरी तरह असहमत हूं। अगर पीएम की कुर्सी पर कोई और होता तो हमारी स्थिति अब से कहीं ज्यादा खराब होती, शायद पाकिस्तान या श्रीलंका की तरह रोते। पीएम मोदी की अहमियत नए प्रधानमंत्री बनने के बाद महसूस की जाएगी। इसका जवाब देते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी ने यही कहा था- अगर अंग्रेज चले गए तो भारत बिखर जाएगा। 

स्वामी से एक अन्य यूजर ने सवाल पूछा कि यदि ऐसी स्थिति रही तो अगले पांच वर्षों में आप भारत की अर्थव्यवस्था को कहां देखते हैं? इसपर भाजपा नेता ने जवाब दिया कि, 'भारतीय आर्थिक नीति में उसी पागलपन के एक और पांच साल की कामना नहीं करनी चाहिए। यह कल्पना करना भी बेहद दुखद है। आइए आशा करते हैं कि सही और बुद्धिमान नीति अपनाई जाए और हम देश को इस दलदल से छुड़ाएं।'