2020 में किसानों से ज्यादा व्यवसायियों ने की आत्महत्या, NCRB डेटा बयां कर रही लॉकडाउन की सच्चाई

NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में 11 हजार 716 कारोबारियों ने आत्महत्या की, वहीं किसानों के आत्महत्या के मामले 10 हजार 677 रहे

Updated: Nov 08, 2021, 11:42 AM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चपेट में आकर लाखों भारतीयों ने जहां बीमारी से जान गंवाई वहीं लॉकडाउन के चलते हजारों लोग आर्थिक तंगी की वजह से जान देने पर मजबूर हुए। एनसीआरबी के ताजा आंकड़े लॉकडाउन के भयावह सच्चाई को बयां कर रहे हैं। एनसीआरबी के मुताबिक साल 2020 के दौरान देश में किसानों से ज्यादा बिजनेसमैन ने आत्महत्या की है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने बताया है कि साल 2020 में 11 हजार 716 कारोबारियों ने आत्महत्या की, वहीं इस दौरान किसानों के आत्महत्या के मामले 10 हजार 677 रहे। एनसीआरबी के मुताबिक 11 हजार 716 आत्महत्या करने वालों में से 4,356 व्यापारी थे, 4,226 वेंडर्स थे वहीं अन्य दूसरे व्यवसाय से जुड़े हुए लोग थे। साल 2019 की तुलना में व्यवसायियों की आत्महत्या के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 

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अबतक माना जाता था कि प्राकृतिक आपदा और फसल बर्बाद होने से देश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। लेकिन कोरोना के दौरान उपजे आर्थिक संकट की वजह से पहली बार किसानों से ज्यादा व्यवसायियों ने आत्महत्या की है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान छोटे व्यापारियों और वेंडर्स को काफी नुकसान झेलना पड़ा। स्थिति ये हो गई थी कि लॉकडाउन लगातार बढ़ाया जा रहा था और छोटे कारोबारियों के पास खाने तक के लाले पड़ गए थे। महामारी ने उनके जीवन को बदतर बना दिया था। यही वजह है कि देश मे पहली बार इतनी बड़ी संख्या में व्यवसायियों की आत्महत्या के मामले सामने आए।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में बच्चों की आत्महत्या भी कम नहीं रही। 2020 में 11 हजार 396 बच्चों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त की। यानी हर रोज औसतन 31 बच्चों ने आत्महत्या का रास्ता अपनाया। साल 2019 के मुकाबले यह 18 फीसदी अधिक है। एक्सपर्ट्स कोविड-19 काल में बच्चों के ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। 

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पूरे देश की बात करें तो साल 2020 में आत्महत्या के मामलों में 10 फीसदी की उछाल हुई जो अबतक की सबसे ज्यादा है। इस दौरान देशभर में 1 लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यानी भारत में प्रतिदिन औसतन 419 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या का रास्ता अपनाया।