पीएम मोदी ने की मन की बात तो थाली बजाकर बोले किसान, ज़रा हमारी भी सुन लें सरकार

मोदी के मन की बात का थाली बजाकर विरोध, महिलाओं-पुरुषों ने सड़कों पर उतरकर बुलंद की अपनी आवाज़, किसानों ने कहा सिर्फ़ अपने मन की न कहें, हमारी भी सुनें प्रधानमंत्री

Updated: Dec 27, 2020, 08:54 PM IST

Photo Courtesy : Twitter
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का जवाब आज किसानों और उनके समर्थकों ने थाली और ढोल-नगाड़े बजाकर दिया। दरअसल केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने लोगों से अपील की थी कि वे मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान थाली और ढोल-नगाड़े बजाकर उनके हक की आवाज़ बुलंद करें। किसानों की इस अपील पर आज देशभर में दिलचस्प नजारा देखने को मिला। प्रधानमंत्री रेडियो-दूरदर्शन के जरिए अपने मन की बात सुनाते रहे और किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे लोग थाली, ढोल, नगाड़े बजाकर अपना विरोध जताते रहे। 

किसान नेता रजिंदर सिंह दीप का कहना है कि आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान अबतक जा चुकी है लेकिन देश के प्रधानमंत्री अब भी सिर्फ अपने मन की बात कर रहे हैं। लोगों के मन की बात और किसानों की तकलीफ वे सुनने को तैयार नहीं हैं। इसलिए, ऐसे ग़ैरजिम्मदार नेता जो देश के लोगों की मन की बात सुनना नहीं चाहते, उनके मन की बात भी किसी को नहीं सुननी चाहिए।

पिछले 32 दिनों से कड़कड़ाती ठंड में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर कुछ इस तरह प्रदर्शन किया।

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना तहसील अंतर्गत मूसा खेड़ा गांव से मन की बात के विरोध की जो तस्वीरें सामने आई है उसमें देखा जा सकता है कि गांव के महिलाएं, पुरुष, बच्चे बूढ़े सभी इस प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

हरियाणा बॉर्डर शाहजहांपुर में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पीएम के मन की बात के विरोध में थाली-ताली और ड्रम बजाकर रैली निकाली गई।

 

वहीं उत्तरप्रदेश में किसानों के आह्वान पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राजधानी लखनऊ स्थित बीजेपी मंत्रियों के आवास पर थाली बजाकर केंद्र सरकार का विरोध किया।

 

 

यूपी के ही बाराबंकी जिले में भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने ताली-थाली बजाकर विरोध दर्ज किया।

 

 

इसी तरह से देशभर से थाली बजाकर पीएम के मन की बात कार्यक्रम के विरोध के कई विजुअल्स और तस्वीरें सामने आई हैं।

 

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, जैसे पीएम मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसानों ने भी थाली बजाई ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए। अब बस सरकार के लिए संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए।'

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नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग को लेकर किसान दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में जुटे हुए हैं। किसान संगठनों ने शनिवार की बैठक में सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बैठक के किए किसानों ने 4 मुद्दों का एजेंडा भी तय किया गया है। इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन की आगे की रूपरेखा भी तय कर दी है। अगर बातचीत बेनतीजा रही तो किसान संगठन अपना आंदोलन और तेज करेंगे और उन्होंने 30 दिसंबर को सिंघू-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने का आह्वान किया है।