विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ भाजपा में बड़ा फेरबदल, अरुण साव होंगे नए अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने संगठन के स्तर पर बदलाव किया है। बिलासपुर से सांसद अरुण साव छत्तीसगढ़ में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे। इसे 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

रायपुर। विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ भाजपा में बदलाव का दौर शुरू हो गया है। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अरुण साव को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के निर्देश पर उनकी नियुक्ति हुई है।
बीते कुछ दिनों से बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं जोरों से चल रही थी। लगातार ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आदिवासी चेहरा उतारेगी। लेकिन पार्टी ने साहू समाज से आने वाले एक चेहरे को अध्यक्ष बनाकर तमाम कयासों पर विराम लगा दिया है।
अरुण साव को बीजेपी ने साल 2019 के चुनाव में पहली बार लोकसभा के लिए टिकट दिया था। साव बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। इसके बाद अरुण साव बिलासपुर से लोकसभा सांसद बने थे। अरुण साव ने अपने कैरियर की शुरुआत विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में की थी, जिसके बाद वह युवा मोर्चा में लगातार अपनी भूमिका निभाते रहे।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री @JPNadda जी ने श्री अरुण साव, सांसद, बिलासपुर लोकसभा को छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। pic.twitter.com/J3ZXjyUE0r
— BJP (@BJP4India) August 9, 2022
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार हुई थी। इसके बाद हुए कई उपचुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। साथ ही नगर निकाय चुनावों में भी बीजेपी को जीत नहीं मिली। लगातार असफलताओं को लेकर पार्टी के अंदर मंथन का दौर चल रहा था। इसके बाद नेतृत्व ने प्रदेश में अध्यक्ष बदलने का फैसला किया है। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद राज्य स्तर पर संगठन में भी कई बदलाव होना तय है।
अरुण साव से पहले छत्तीसगढ़ में बीजेपी की कमान विष्णु देव साय के पास थी। साय पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, यह उनका तीसरा कार्यकाल था। इससे पहले साल 2006 से 2009 और फिर साल 2013 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही है। साल 1999 से 2014 तक वे रायगढ़ से सांसद रहे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। उन्हें आरएसएस नेताओं का भी करीबी माना जाता है।