आप युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं, एकता कपूर को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

एकता कपूर के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई गई वेब सीरीज XXX को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं।

Updated: Oct 14, 2022, 02:24 PM IST

नई दिल्ली। एकता कपूर के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई गई वेब सीरीज XXX को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। इस सीरीज को लेकर लंबे समय से मामला कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एकता कपूर को फटकारते हर कहा कि आप देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं। 

सुप्रीम कोर्ट एकता कपूर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑल्ट बालाजी पर प्रसारित वेब सीरीज XXX में आपत्तिजनक कॉन्टेंट को लेकर बिहार के बेगूसराय की एक ट्रायल कोर्ट ने एक पूर्व सैनिक शंभू कुमार की शिकायत पर वारंट जारी किया था। इसमें आरोप लगाया गया कि वेब सीरीज के दूसरे सीजन में एक सैनिक की पत्नी के साथ आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए थे।

एकता कपूर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी गई। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी सर्वोच्च न्यायालय में एकता कपूर की पैरवी कर रहे थे। उन्होंने तर्क दिया कि, 'पटना उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, लेकिन ऐसी कोई उम्मीद नहीं है कि मामला जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने पहले भी इसी तरह के मामले में कपूर को संरक्षण दिया था। इसलिए हम यहां आए हैं।'

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न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘कुछ तो किया जाना चाहिए। आप इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं। यह सभी के लिए उपलब्ध है। ओटीटी (ओवर द टॉप) कंटेंट सभी के लिए उपलब्ध है। आप लोगों को किस तरह का विकल्प दे रहे हैं?…इसके विपरीत आप युवाओं के दिमाग को प्रदूषित कर रही हैं।’

रोहतगी ने कहा कि सीरीज की सामग्री सदस्यता आधारित है और इस देश में पसंद की स्वतंत्रता है। इस पर, अदालत ने पूछा कि लोगों को किस तरह का विकल्प दिया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘हर बार जब आप इस अदालत में आते हैं…हम इसकी सराहना नहीं करते। हम इस तरह की याचिका दायर करने के लिए आप पर जुर्माना लगाएंगे। श्री रोहतगी कृपया इसे अपने मुवक्किल को बताएं। सिर्फ इसलिए कि आप अच्छे वकील की सेवा ले सकते हैं…यह अदालत उनके लिए नहीं है, जिनके पास आवाज है।'

पीठ ने कहा, ‘यह अदालत उनके लिए काम करती है, जिनके पास आवाज नहीं है…जिन लोगों के पास हर तरह की सुविधाएं हैं, अगर उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है तो आम आदमी की स्थिति के बारे में सोचे। हमने आदेश देखा है और हमारी आपत्तियां हैं। उच्च न्यायालय में सुनवाई की स्थिति के बारे में जानने के लिए एक स्थानीय वकील की सेवा ली जा सकती है।'