किसानों पर बिजली चोरी के झूठे केस बनाए गए, दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि विधुत विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है, बिजली बिल वसूली के लिए चलाए जा रहे दमनचक्र से जनता हलकान है, दो वर्ष के बिजली बिल माफ होने चाहिए

Updated: Apr 08, 2022, 07:49 AM IST

भोपाल। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश विधुत विभाग की विसंगतियों को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। पूर्व सीएम ने इस पत्र में किसानों की पीड़ा जाहिर करते हुए लिखा कि किसानों के खिलाफ बिजली चोरी के झूठे केस बनाए गए हैं। सिंह ने सीएम शिवराज को विधुत विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार से भी अवगत कराया है। साथ ही मांग की है कि कोरोना काल के पिछले दो वर्षों के बिजली बिल माफ किए जाए।

मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि, 'प्रदेश के साढ़े सात करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के सामने आ रही तकलीफों की तरफ मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान आकर्षित करना चाह रहा हूं। प्रदेश के लाखों उपभोक्ता आज हजारों रूपये के बिजली बिल और उनकी वसूली के लिये चलाये जा रहे है दमनचक से हलकान है और जनता में सरकार के प्रति गुस्सा है। पूर्व में कांग्रेस सरकार ने संबल योजना में परिवर्तन कर इंदिरा गृह ज्योति योजना प्रारंभ कर बिजली के लिए न्यूनतम 100 यूनिट तक एक रूपये प्रति यूनिट के दर से तथा 150 यूनिट की मासिक खपत होने पर भी इस योजना का लाभ घरेलू उपभोक्ताओं को दिया गया था। किन्तु वर्तमान में आपकी सरकार द्वारा इंदिरा गृह ज्योति योजना का नाम परिवर्तित कर अटल गृह ज्योति योजना के नाम से संचालित किया जा रहा है, और अब उपभोक्ताओं को मनमाने बिजली बिल दिए जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई के दौर में उपभोक्ताओं पर यह बज्रघात नहीं किया जाना चाहिए।'

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सिंह ने आगे लिखा है कि, 'प्रदेश में अधिकांश किसानों के पास 5 हॉर्सपावर के कृषि पंप है पर उन्हें 6 एवं 7.5 हॉर्सपावर तक का बिल दिया गया। इसकी शिकायत किसानों द्वारा करने पर विद्युत विभाग द्वारा उनसे 80 प्रतिशत राशि जमा करा कर शिकायतों का निपटारा किया गया किंतु जिन किसानों ने शिकायत नहीं की थी उन किसानों को पूरी राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। यदि एक ही परिसर में 2 भाई अलग-अलग रह रहे हैं, तो विद्युत विभाग द्वारा उन्हें 2 परिवार नहीं माना जा रहा है तथा पृथक कनेक्शन की मांग करने पर उनसे रजिस्ट्री की मांग की जा रही है। गांवों में अधिकांश मकानों की रजिस्ट्री नहीं होती है। परिवार आपसी सहमति से ही बटवारा कर लेते हैं। अतः एक ही परिसर में यदि परिवार के सदस्य अलग-अलग निवास करते हैं तो उन्हें पृथक कनेक्शन दिया जाना चाहिए।'

राज्यसभा सांसद ने लिखा है कि विद्युत विभाग द्वारा किसानों पर विद्युत चोरी के झूठे प्रकरण बनाये गए हैं, जिससे किसानों को अस्थाई कनेक्शन को स्थायी कनेक्शन को परिवर्तित कराने में समस्या आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से विद्युत आपूर्ति बंद होने के उपरांत भी उपभोक्ताओं को बिल जारी किये जा रहे हैं। आपकी सरकार ने कोरोना काल में अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक के ही बिल माफ किए है जबकि कोरोना के कारण लोग 2 वर्षो तक प्रभावित रहे। अप्रैल वर्ष 2020 से लेकर मार्च 2022 तक के कोरोना की महामारी ने लोगों के काम-धंधे, खेती-बाड़ी सब ठप कर दी थी। इसी अवधि में आपकी सरकार ने लोगों से मनमाने बिल वसूले। पूरे प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ता त्राहि-त्राहि कर उठे थे। आपने 1 KV के घरेलू उपभोक्ताओं के बिल माफ करने की घोषणा कि है जबकि प्रदेश के अधिकांश उपभोक्ता 2 KV तक की सीमा में विद्युत का उपयोग करते है। अतः यह सीमा 2 केवी तक बढाकर मध्यम वर्ग को राहत पहुंचाई जानी चाहिए। 

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उन्होंने आगे लिखा कि सीहोर जिले में PWD के लिए पंजीकृत ठेकेदारों द्वारा विद्युत कंपनी में बिना किसी पंजीयन के राजनैतिक संरक्षण में नियमविरूद्ध कार्य किया जा रहा है। वे इतने प्रभावशाली है कि कार्यवाही करने वाले अधिकारियों को ही स्थानांतरित करवा देते हैं। विद्युत कंपनी के कार्यों के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले सामान का उपयोग इन ठेकेदारों द्वारा लोकनिर्माण के कार्यों में किया जा रहा है तथा इसमें भी चोरी हो रही है। प्रदेश में कॉलोनाइजर्स द्वारा बिना टी. एण्ड सी.पी. तथा रैरा से अनुमोदन लिये अनाधिकृत कॉलोनी बनाकर आम लोगों को प्लाट और मकान बेचे गये हैं। उन्हें विद्युत कंपनी द्वारा स्थाई कनेक्शन नहीं दिया जाता है। विद्युत कंपनी अवैध कॉलोनी बताकर लोगों को विद्युत कनेक्शन देने से मना कर रहीं हैं एवं अस्थायी कनेक्शन लेने पर उपभोक्ताओं को 4-5 गुना अधिक बिल भरना पड़ रहा है।'

सिंह ने आगे लिखा कि, 'प्रदेश में विद्युत अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगातार हो रही लोकायुक्त एवं EOW की कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। यह बगैर उच्च स्तर के संरक्षण के संभव नहीं है। ट्रांसफार्मर के नाम पर राशि लेने वाले एवं किसानों पर प्रकरण बनाने वाले डी.ई., ए.ई. और जे.ई. का निलंबित किया जाना भ्रष्टाचार की पुष्टि करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर को साइट पर स्थापित करने के लिए उसके परिवहन की जिम्मेदारी विद्युत कंपनी की है, किंतु विद्युत अधिकारियों द्वारा संबंधित किसानों से परिवहन की व्यवस्था करने को उन्हें विवश किया जाता है तथा परिवहन पर होने वाले व्यय की राशि का फर्जी तरीके से बिल बनाकर अधिकारियों द्वारा उक्त राशि निकाल ली जाती है।'

कांग्रेस नेता ने मांग की है कि प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं, किसानों, लघु एवं मध्यम दुकानदारों तथा व्यापारियों को राहत पहुंचाने के लिए 2 वर्ष के कोरोना काल 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक के बिजली बिल माफ किया जाए।