पूर्व एसडीएम निशा बांगरे ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, पार्टी पर लगाए वादाखिलाफी के आरोप

निशा बांगरे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले मुझे विधानसभा में टिकट नहीं दिया, फिर लोकसभा में टिकट देने का भरोसा दिलाया और इस बार भी वादाखिलाफी की।

Updated: Apr 14, 2024, 12:36 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रहीं निशा बांगरे ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए हैं। निशा बांगरे का कहना है कि कांग्रेस ने पहले मुझे विधानसभा में टिकट नहीं दिया, फिर लोकसभा में टिकट देने का भरोसा दिलाया और इस बार भी वादाखिलाफी की। निशा बांगरे का भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं।

मध्य प्रदेश कांग्रेस अधयक्ष जीतू पटवारी को अपना इस्तीफा सौंपते हुए निशा बांगरे ने कहा कि कांग्रेस ने कभी बाबा साहेब को भी टिकट नहीं दिया बल्कि उनके सामने उम्मीदवार उतारकर उन्हें चुनाव में हरवा दिया। कांग्रेस ने तब भी न्याय नहीं किया था और कांग्रेस आज भी न्याय नहीं कर पा रही है।

निशा बांगरे ने लिखा है, 'मैं समझती थी कि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर समाज के शोषित, पीड़ित और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व करूंगी। बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी। लेकिन पिछले 6 महीने से कांग्रेस की नीयत को करीब से आंकलन कर मैंने यह पाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे धोखा दिया।'

उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस में नारी सम्मान के लिए कोई स्थान नहीं है। जिसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनाव 2024 में मध्य प्रदेश में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व न मिलना भी है। मैं राजनीति में व्यापक स्तर पर कार्य करना चाहती थी लेकिन कांग्रेस ने मेरी योग्यता को ही अयोग्यता बना दिया। अतः मैं कांग्रेस पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त होना चाहती हूं। अपना पूरा जीवन बाबा साहब के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित करती रहूंगी।

इससे पहले वह सरकारी नौकरी में वापस आने की इच्छा जता चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने 3 महीने पहले मुख्य सचिव वीरा राणा को आवेदन भेजा था। हाल ही में उन्होंने इस आवेदन को सार्वजनिक किया था। अभी तक विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। उन्होंने सीएम मोहन यादव से मिलने का समय भी मांगा है।

निशा छतरपुर जिले में बतौर डिप्टी कलेक्टर पोस्टेड थीं। छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम रहते उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। वह बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहतीं थीं। इसी वजह से उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा शासन की ओर से जब स्वीकार किया गया तब तक कांग्रेस ने मनोज मालवे को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। ऐसे में वे चुनाव नहीं लड़ पाईं थीं।