ग्वालियर में 100 से ज्यादा बच्चे फूड प्वाइजनिंग के शिकार, एक दर्जन से अधिक की हालत गंभीर

ग्वालियर के लक्ष्मी बाई नेशनल फिजिकल यूनिवर्सिटी में मंगलवार को डिनर के बाद 100 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए। सभी बच्चे फूड प्वाइजनिंग का शिकार बताए जा रहे हैं। छात्रों को उल्टी-दस्त होने पर एलएनआईपीई के हेल्थ सेंटर में ही इलाज किया गया था।

Updated: Oct 04, 2023, 10:30 AM IST

ग्वालियर। देश के प्रतिष्ठित खेल संस्थान लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन में फूड पॉइजनिंग से 100 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए हैं।
बताया गया है कि अचानक यहां अध्ययनरत स्टूडेंट्स को उल्टी और पेट दर्द की शिकायत शुरू हुई। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। एक के बाद एक स्टूडेंट की तबियत बिगड़ने से कॉलेज परिसर में हड़कंप मच गया।

बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स की अचानक तबियत बिगड़ने की सूचना पाकर कॉलेज के वाइस चांसलर और हॉस्टल वार्डन मौके पर पहुंचे और अन्य कर्मचारियों की मदद से बीमार छात्रों को हॉस्पिटल भेजना शुरू किया। देर रात तक सौ से ज्यादा फूड प्वाइजनिंग के शिकायर स्टूडेंट अस्पताल में भर्ती कराई जा चुके थे। इनमें अनेक छात्राएं भी शामिल हैं। इनमें से एक दर्जन छात्रों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

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लक्ष्मी बाई नेशनल फिजिकल यूनिवर्सिटी में फूड प्वाइजनिंग का शिकार हुए बच्चों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने सोमवार रात को खाने में पनीर खाया था। जिसके बाद एक-एक कर कई छात्र-छात्राएं बीमार हो गए। रातभर उन्हें एलएनआईपीई के हेल्थ सेंटर में ही प्राथमिक उपचार दिया गया। मगर मंगलवार दिन तक बच्चों की तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी। इसके बाद देर शाम तक सभी पीड़ित बच्चों की स्थिति बदतर हो गई तब उन्हें JAH अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 

एलएनईपीई संस्थान के अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि अभ अभी सारा ध्यान बच्चों के स्वास्थ्य पर केंद्रित है और उनके इलाज का पूरा ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों का स्वास्थ्य ठीक होने के बाद इस बात की जांच की जाएगी की फूड प्वाइजनिंग आखिर हुई क्यों? एलएनआईपीई के रजिस्ट्रार अमित यादव ने बताया है कि रात को हालत बिगड़ने पर अस्पताल में 100 बच्चों को भर्ती कराया है। फूड के सैंपल लिए जाएंगे। जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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LNIPE हेल्थ सेंटर के डॉ. जयराज वाधवानी के मुताबिक, सुबह बच्चों में बुखार और उल्टी-दस्त के लक्षण देखने में आए थे। इसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के रूप में पैरासिटामॉल और ओआरएस का घोल लगातार दिया जा रहा है। हालांकि, उस समय हालात इतने गंभीर नहीं थे। अचानक ही शाम को बच्चों की हालत बिगड़ती गई। इसके बाद बिना देरी किए प्रबंधन और फैकल्टी की मदद से सभी को अस्पताल पहुंचाया गया।

डॉक्टरों का कहना है कि हो सकता है पनीर की क्वालिटी ठीक न हो। डेयरी प्रोडक्ट्स कई बार इस तरह की फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं। JAH अधीक्षक आरकेएस धाकड़ ने कहा कि हमारे डॉक्टर पूरी मुश्तैदी से काम कर रहे हैं। किसी भी चीज की कमी नहीं आने दी जाएगी।