MP में आदिवासियों के साथ अत्याचार के 30 हजार से अधिक मामले, राज्यपाल से मिले कमलनाथ

मध्य प्रदेश की सरकार और राजनीतिक तंत्र एक ऐसा घृणा और अन्याय का वातावरण पैदा कर रहा है जिसमें आदिवासी समुदाय के प्रति अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं: कांग्रेस

Updated: Jul 10, 2023, 04:59 PM IST

भोपाल। सीधी के पेशाब कांड के बाद से लगातार मध्य प्रदेश में आदिवासियों और दलितों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह सोमवार को आदिवासी विधायकों के साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मिले। कमलनाथ ने कांग्रेस पार्टी के करीब 22 आदिवासी विधायकों के साथ राज्यपाल को ज्ञापन दिया। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, विधायक बाला बच्चन, डॉ अशोक मर्सकोले, डॉ हीरा अलावा, हर्ष विजय गहलोत सहित तमाम आदिवासी विधायक मौजूद थे।

राज्यपाल मंगू भाई पटेल को संबोधित ज्ञापन में कांग्रेस ने लिखा है कि, 'मध्य प्रदेश देश का ऐसा राज्य है, जहां सबसे बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के नागरिक निवास करते हैं। मध्य प्रदेश के समाज, संस्कृति, संस्कार और परंपराओं में आदिवासी समुदाय का उल्लेखनीय योगदान है। आदिवासी समुदाय मध्यप्रदेश के सामाजिक जीवन का अभिन्न और अति महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन देखने में आ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की 18 साल की सरकार में आदिवासी समुदाय के ऊपर अत्याचार दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा सरकार में आदिवासी उत्पीड़न के 30,000 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि इससे बड़ी संख्या ऐसे मामलों की है जो प्रकाश में नहीं आ सके।'

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ज्ञापन में आगे लिखा है कि, 'आपने देखा होगा कि हाल ही में प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने की घटना सामने आई। घटना का मुख्य आरोपी भाजपा नेता था और भाजपा विधायक का विधायक प्रतिनिधि था। इसके पूर्व नीमच में आदिवासी युवक को गाड़ी से बांधकर घसीट कर हत्या करने का मामला पूरी दुनिया ने देखा। नेमावर में आदिवासी युवती और उसके परिवार के 6 लोगों को जिंदा गाड़ देने का भीषण कृत्य भी मध्य प्रदेश की माटी को देखना पड़ा। यह ज्ञापन तैयार करते समय इंदौर के महू से दो आदिवासी युवकों को बुरी तरह पीटे जाने का वीडियो भी सामने आया।'

कांग्रेस नेताओं ने आगे लिखा, 'माननीय, यहां केवल उन घटनाओं का जिक्र किया गया है जो अत्यंत अमानवीय थीं और जिन्हें पूरी दुनिया ने देखा। यह घटनाएं ना सिर्फ मानवता को शर्मसार करती हैं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने मध्यप्रदेश की एक ऐसी तस्वीर पेश करती हैं जिनसे लगता है कि मध्य प्रदेश आदिवासियों पर अत्याचार करने वाले लोगों का प्रदेश बन गया है। आदरणीय आप स्वयं आदिवासी समुदाय से आते हैं, इसलिए आदिवासी समुदाय की पीड़ा, वंचना और संघर्ष को आप से बेहतर कौन जान सकता है? लेकिन हमारा दुख तब और बढ़ जाता है जब आदिवासियों पर अत्याचार सत्ताधारी दल के नेताओं के द्वारा या उनके संरक्षण में किए जाते हैं।'

कांग्रेस ने ज्ञापन में राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए लिखा, 'प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का आदिवासी विरोधी रवैया इस बात से भी समझा जा सकता है कि आदिवासी कल्याण का बजट राजनीतिक स्वरूप की सरकारी रैलियों पर खर्च कर दिया जाता है। अनुसूचित जनजाति के लोग अपने लिए बनाए गए अजाक थानों में शिकायत कराते हैं, लेकिन उन थानों का बजट भी शासन ने स्वीकृत नहीं किया है। अगर कोई अपराध सामने आता है तो सत्ताधारी लोग उसे दबाने में लग जाते हैं। इस तरह से मध्य प्रदेश की सरकार और राजनीतिक तंत्र एक ऐसा घृणा और अन्याय का वातावरण पैदा कर रहा है जिसमें आदिवासी समुदाय के प्रति अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं।'

कांग्रेस ने राज्यपाल से अनुरोध करते हुए कहा कि, 'प्रदेश के संवैधानिक मुखिया होने के नाते आप इस मामले में अपनी शक्तियों का प्रयोग करें और सरकार को आदिवासी अत्याचार रोकने के लिए आदेशित करें। कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल होने के नाते हर स्तर पर इन अत्याचारों का विरोध कर रही है और जो भी संभव सहायता है, वह आदिवासी समुदाय के पीड़ित व्यक्तियों को उपलब्ध करा रही है। आपका हस्तक्षेप इसलिए जरूरी है कि यह मामला आदिवासी समुदाय की स्वतंत्रता का है, सुरक्षा का है, सम्मान का है, मध्य प्रदेश की प्रतिष्ठा का है और मानवता की रक्षा का है।'