पीएम मोदी के कार्यक्रम में 20 करोड़ का टेंट, दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति मुर्मू से की जांच की मांग

प्रधानमंत्री की शान में जो गेट लगाया गया था, उसका किराया ही एक दिन का दस लाख रूपये था। जिसमें डोम, टेंट, साउण्ड, फ्लोरिंग, कूलर, ए.सी., पंखे, कुर्सी, कारपेट, मंच, कटआउट आदि का खर्च 19 करोड़ 63 लाख रूपये बताया गया है: दिग्विजय सिंह

Updated: Sep 06, 2023, 04:41 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर पीएम मोदी के शहडोल दौरे के दौरान हुई फिजूलखर्ची की शिकायत की है। सिंह ने राष्ट्रपति मुर्मू को बताया है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में 20 करोड़ रुपए का टेंट बनाया गया था। उन्होंने इस मामले की जांच कर फिजूल खर्ची करने वाले अधिकारियों से जनधन की वसूली की जाए।

राष्ट्रपति को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है कि, 'मध्य प्रदेश सहित देश की आन-बान और शान वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर मध्यप्रदेश शासन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक कार्यक्रम आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल में किया और करोड़ों रूपये टेंट तमाशे में फूंक दिये गये। गौरव दिवस के नाम पर खर्च किये गये करोड़ों रूपयों की जांच करानी चाहिये।'

सिंह ने आगे लिखा, 'देश में सर्वाधिक जनजाति समाज मध्य प्रदेश में निवास करता है। प्रदेश में करीब 23 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति समाज की है। जहां 89 आदिवासी विकासखण्ड है जिनमें संविधान की 5वीं अनुसूची लागू है। विंध्य क्षेत्र के शहडोल संभाग में 1 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी का आगमन हुआ था। जिसके तहत ग्राम लालपुर और पकरिया में दो कार्यक्रम आयोजित किये गये थे।' 

पूर्व सीएम ने लिखा है कि, 'प्रदेश में आगामी 3 माह बाद विधानसभा के चुनाव होना है। जिसमें आदिवासी वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है। विगत 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के आदिवासी समाज ने भाजपा को बुरी तरह हराया था। इस समाज को वास्तविक रूप से जनकल्याणकारी योजनाओं को जोड़ने के लिये प्रधानमंत्री के एक दिवसीय दौरे पर एक दिन में पचास करोड़ से अधिक खर्च कर दिये गये। इवेंट मैनेजमेंट के जरिये जनता को भ्रमित करने वाली मध्यप्रदेश सरकार ने इस आयोजन में सिर्फ टेंट पर ही 20 करोड़ रूपये खर्च कर दिये।'

सिंह लिखते हैं कि, 'प्रधानमंत्री की शान में जो गेट लगाया गया था, उसका किराया ही एक दिन का दस लाख रूपये था। प्रदेश की जनता के खून-पसीने की कमाई से संग्रहित टैक्स के रूपयों से बने बजट में से सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में ही जनसम्पर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम ने करीब 20 करोड़ रूपये खर्च का बिल प्रेषित किया है। जिसमें डोम, टेंट, साउण्ड, फ्लोरिंग, कूलर, ए.सी., पंखे, कुर्सी, कारपेट, मंच, कटआउट आदि का खर्च 19 करोड़ 63 लाख रूपये बताया है। मैं पानी की तरह बहाये गये लाखों रूपयों के बिल की प्रति पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ। जिसका अवलोकन कर आप भी हतप्रभ रह जायेंगी।'

पूर्व सीएम ने पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति को बताया कि आदिवासियों को लुभाने के नाम पर राज्य सरकार द्वारा बड़े बेदर्द तरीके से करोड़ों रूपये एक दिन में खर्च कर दिये गये। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से कितने आदिवासियों का भला हुआ? यह गंभीर चिंता का विषय है। शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सीधी, सिंगरौली जैसे जिलों में 70 प्रतिशत आदिवासी समाज गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। रोजगार के आभाव में परिवार हर साल दूर-दूर तक रोजगार की तलाश में पलायन करते है। आपको विदित होगा कि कोरोना की त्रासदी के समय शहडोल जिले के 16 मजदूर औरंगाबाद के पास ट्रेन से कटकर खत्म हो गये थे। यह घटना आदिवासी अंचल में फैली बेरोजगारी की जीवंत दास्तां है। 

सिंह आगे लिखते हैं, 'इन क्षेत्रों में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति सहित पनिका, कोल और गौड़ उपजाति के आदिवासी रहते हैं आप देश की प्रथम नागरिक के साथ-साथ उड़ीसा के अत्यंत पिछड़ी जनजाति समाज से आती है। यह देश के लिये गर्व की बात है, आप इस वर्ग के प्रतिनिधि के साथ-साथ देश की प्रमुख होकर प्रथम नागरिक भी है।.मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय प्रधानमंत्री के दौरे के नाम पर आदिवासियों का जनकल्याण कराने की जगह टेंट-तमाशों में खर्च किये गये बीस करोड़ रूपये के खर्च की जांच कराई जाये, साथ ही जनजाति वर्ग के नाम पर फिजूल खर्ची करने वाले अधिकारियों से जनधन की वसूली की जानी चाहिये।'