बिहार के पूर्व CM कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत मिलेगा भारत रत्न, जननायक के जन्मशताब्दी पर बड़ा ऐलान

कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। वो राज्य में दो बार मुख्यमंत्री और एक बार उप मुख्यमंत्री रहे। 1952 में हुए पहली विधानसभा के चुनाव में जीतकर कर्पूरी ठाकुर पहली बार विधायक बने।

Updated: Jan 23, 2024, 09:36 PM IST

नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्‍न से नवाजा जाएगा। राष्‍ट्रपति की ओर से जारी बयान में उन्‍हें भारत रत्‍न देने का ऐलान किया गया है। उन्‍हें काफी समय से भारत रत्‍न देने की मांग की जा रही थी। जननायक के जन्मशताब्दी पर अब उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले 23 जनवरी को यह घोषणा की। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे। वे पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिशाल बने। 

देश में सबसे पहले उन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया। पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई को भी मुफ्त कर दिया। उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी दिया। केवल पिछड़े ही नहीं, अगड़ों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। स्वतंत्रता का संघर्ष हो या जेपी का आंदोलन, कर्पूरी ठाकुर की अग्रणी भूमिका रही।

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ। यानी बुधवार को (24 जनवरी) उनकी 100वीं जयंती है। कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ। वे बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने डिप्टी CM बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था।