महाराष्ट्र सरकार का ऐतिहासिक निर्णय, महाराष्ट्र में विधवा प्रथा समाप्त, राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया हेरवाड़ मॉडल

ग्रामपंचायत हेरवाड़ द्वारा 4 मई को विधवाओं की अमानवीय प्रथा बंद करने को लेकर मुक्ताबाई पुजारी द्वारा प्रस्ताव रखा गया जिसे सर्वसम्मति से सभी पंचों ने पारित कर दिया था

Updated: May 19, 2022, 10:21 AM IST

Photo Courtesy: Twitter
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मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार ने महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए महाराष्ट्र में विधवा प्रथा के रीति रिवाजों को बंद करने का निर्णय लिया है।
विधवा प्रथा से तात्पर्य पति की मृत्यु के बाद विधवा की चूड़ी तोड़ने, सिंदूर पोंछने, मंगलसूत्र निकालने, रंगीन कपड़े, आभूषण पहनने से रोकना,  अशुभ मानना, उनके पारिवारिक समारोहों और उत्सवों में शामिल होने की अनुमति नहीं देना शामिल है।
सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने बताया कि जिन महिलाओं ने कोरोना बीमारी के कारण पतियों को खोया है, उन महिलाओं के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं, हम उनके बच्चों की शिक्षा के लिए 5000 रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने ग्राम पंचायत हेरवाड, कोल्हापुर द्वारा विधवा प्रथा बंद करने के फैसले को आदर्श मानते हुए उसे राज्य की सभी ग्रामपंचायतों में लागू करने का आदेश दिया है। ग्रामपंचायत हेरवाड़ द्वारा 4 मई को विधवाओं की अमानवीय प्रथा बंद करने को लेकर मुक्ताबाई पुजारी द्वारा प्रस्ताव रखा गया जिसे सर्वसम्मति से सभी पंचों ने पारित कर दिया था।

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सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जिंजादे ने बताया कि हम विधानसभा सत्र में विधवा रीति रिवाज का मुद्दा उठाने के लिए कई विधायकों से संपर्क कर रहे है, ऐसी प्रथाओं के अधीन महिलाओं के लिए कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है।
कोल्हापुर में आई बाढ़ और कोरोना के कारण कई पुरुषों की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण कई महिलाएं विधवा हुई, इसके बाद ग्राम पंचायत अधिकारी पल्लवी कोलेकर और सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने समाज सुधार का यह बड़ा कदम उठाया और जिसे आदर्श मानकर महाराष्ट्र सरकार ने पूरे राज्य की सभी ग्रामपंचायतों में लागू कर दिया। महाराष्ट्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रिफ ने सभी ग्राम पंचायतों से आग्रह किया है कि विधवा प्रथा खत्म करें।