BJP की नीतियों का विरोध करना जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है, बसपा से निलंबन पर बोले दानिश अली
पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बसपा से निलंबित किए गए सांसद दानिश अली ने कहा कि पूंजीपतियों और भाजपा के खिलाफ वे आवाज उठाते रहेंगे।
नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित कर दिया है। निलंबन की कार्रवाई के बाद दानिश अली की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना अगर जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है।
दानिश अली ने एक ट्वीट थ्रेड में लिखा, 'मैं बहन मायावती जी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूँगा की उन्होंने मुझे बसपा का टिकट दे कर लोक सभा का सदस्य बनने में मदद की। बहन जी ने मुझे बसपा संसदीय दल का नेता भी बनाया। मुझे सदैव उनका असीम स्नेह और समर्थन मिला। उनका आज का फ़ैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने अपनी पूरी मेहनत और लगन से बसपा को मज़बूत करने का प्रयास किया है और कभी भी किसी प्रकार का पार्टी विरोधी काम नहीं किया है।'
लूट के ख़िलाफ़ भी मैंने आवाज़ उठायी है और उठाता रहूँगा। क्योंकि यही सच्ची जन सेवा है। यदि ऐसा करना जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है, और में इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हूँ। मैं अमरोहा की जानता को आश्वस्त करना चाहता हूँ की आप की सेवा में हमेशा हाज़िर रहूँगा।
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) December 9, 2023
दानिश अली ने आगे लिखा, 'इस बात की गवाह मेरे अमरोहा क्षेत्र की जनता है। मैंने भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध ज़रूर किया है और करता रहूँगा। चंद पूँजीपतियों द्वारा जनता कि संपत्तियों की लूट के ख़िलाफ़ भी मैंने आवाज़ उठायी है और उठाता रहूँगा। क्योंकि यही सच्ची जन सेवा है। यदि ऐसा करना जुर्म है तो मैंने ये जुर्म किया है, और में इसकी सज़ा भुगतने को तैयार हूँ। मैं अमरोहा की जानता को आश्वस्त करना चाहता हूँ की आप की सेवा में हमेशा हाज़िर रहूँगा।'
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बता दें कि बसपा ने दानिश अली पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए शनिवार को सस्पेंड कर दिया। माना जा रहा है कि दानिश अली को भाजपा के खिलाफ मुखर होने की सजा मिली है। बता दें कि मानसून सत्र के दौरान बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में अमरोहा से बीएसपी सांसद दानिश अली को न सिर्फ आतंकवादी कहा बल्कि अभद्र गालियां भी दी। इस घटना के बाद वह भाजपा के खिलाफ काफी मुखर हो गए थे और विपक्ष के कई नेताओं ने उनके साथ एकजुटता दिखाई थी। तब से ही बसपा द्वारा उन्हें सस्पेंड करने का बहाना ढूंढा जा रहा था।