झारखंड ने भी वापस ली CBI जांच के लिए सामान्य सहमति, ऐसा करने वाला आठवां राज्य

केंद्र द्वारा सीबीआई का दुरुपयोग करने को लेकर हेमंत सरकार ने लिया सख्त फैसला, इसके पहले महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल और बंगाल जैसे राज्य वापस ले चुके हैं सामान्य सहमति

Updated: Nov 06, 2020, 01:31 PM IST

Photo Courtesy: NBT
Photo Courtesy: NBT

रांची। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस लेने का फैसला लिया है। इसी के साथ झारखंड देश का ऐसा 8वां राज्‍य बन गया है जिसने राज्‍य में सीबीआई जांच के लिए सामान्‍य सहमति वापस लेने का फैसला किया हो। अब सीबीआई बिना राज्य सरकार से अनुमति लिए झारखंड में जांच नहीं कर सकती है। 

झारखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को बयान जारी कहा है कि सीबीआई को अब झारखण्ड में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो झारखण्ड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी। नये आदेश के अनुसार अब सीबीआई को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी।

झारखंड सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब केरल सरकार ने भी एक दिन पहले ही यह कदम उठाया है। झारखंड सरकार के इस आदेश का सीधा मतलब यह होगा कि अब किसी भी मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य में मुख्यमंत्री की अनुमति लेनी होगी या फिर एजेंसी हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही ऐसा कर सकेगी। 

बता दें कि केरल के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सरकारें भी इस तरह का फैसला कर चुकी हैं। विपक्षी दलों की सरकारों द्वारा यह फैसला एजेंसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए लिया जा रहा है। राज्य सरकारों का आरोप है कि केंद्र की बीजेपी शासित मोदी सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए लगातार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है।

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने साल 2018 में ही सीबीआई जांच के खिलाफ यह फैसला लिया था। उसके बाद आंध्र प्रदेश में तब की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने भी उसी साल एनडीए गठबंधन से बाहर आने के बाद यह कदम उठाया था। हालांकि बाद में वहां सरकार बदलने पर यह सहमति फिर से दे दी गई।

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार साल 2019 में ही सामान्य सहमति वापस ले चुुकी है वहीं सचिन पायलट की बगावत के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी राज्य में सीबीआई के लिए दरवाजे बंद कर दिए थे। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में राजनीति के बाद यह फैसला लिया था।