शहीद का बेटा हूं, नहीं सहूंगा शहीदों का अपमान, जलियांवाला बाग के नवीकरण के खिलाफ बोले राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा है कि जलियांवाला बाग के शहीदों का अपमान वही कर सकता है, जो शहादत का मतलब नहीं जानता

Updated: Aug 31, 2021, 10:33 AM IST

नई दिल्ली। अंग्रेजी हुकूमत की सबसे क्रूर बर्बरता की निशानी जलियांवाला बाग के नवीकरण के खिलाफ मोदी सरकार पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी जलियांवाला बाग के नवीकरण की मुखालिफत की है। राहुल गांधी ने कहा है कि चूंकि वे खुद एक शहीद के बेटे हैं, इसलिए वे जलियांवाला बाग के शहीदों का अपमान किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेंगे।

राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल पर जलियांवाला बाग के नवीकरण का विरोध करते हुए कहा है कि जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। कांग्रेस नेता ने आगे कहा, मैं एक शहीद का बेटा हूँ, शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा।हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं। 

वहीं कांग्रेस नेता ने अपने एक अन्य ट्वीट में मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, वह कभी आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को समझ नहीं सकते। 

राहुल गांधी के अलावा सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की जा रही हैं। इस विवाद के जड़ में जलियांवाला बाग का नवीकरण है। जलियांवाला बाग का नाम अतीत के काले पन्नों में दर्ज है। इसी जगह पर 1919 में बैसाखी के दिन जनरल डायर ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था। जिसमें हजार से ज्यादा लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उस जगह का नवीकरण किए जाने के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक सुर में मोदी सरकार की आलोचना हो रही है। 

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा इस वजह फूट रहा है क्योंकि ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि जलियांवाला बाग की घटना अतीत के क्रूरतम घटनाओं में से एक है। इसलिए इसका नवीकरण नहीं किया जाना चाहिए। जलियांवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर में लाइट और साउंड शो को लेकर भी लोगों ने सवाल खड़े किए, लोगों ने कहा कि यह कोई ऐसी घटना नहीं थी, जिसका उत्सव मनाया जाए। 

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सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों के अलावा तमाम इतिहासकार भी मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। इतिहासकार मोदी सरकार पर इतिहास को नष्ट करने का आरोप लगा रहे हैं। इतिहासकार इरफान हबीब ने जलियांवाला बाग के नवीकरण को लेकर कहा कि यह स्मारकों का निगमीकरण है। जहां वे आधुनिक संरचनाओं के रूप में हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं, और विरासत मूल्य को खो देते हैं।

सीताराम येचुरी ने भी इरफान हबीब की बात से सहमति ज़ाहिर की है। सीताराम येचुरी ने कहा है कि ऐसा कृत्य वही लोग कर सकते हैं जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे। जलियांवाला बाग के अलावा भाजपा द्वारा शासित गुजरात सरकार साबरमती आश्रम का भी नवीकरण करने जा रही है। बीजेपी सरकार के इस फैसले का भी विरोध हो रहा है। लोगों की दलील है कि दुनिया भर से लोग साबरमती आश्रम में यह जानने आते हैं कि गांधी जी ने किस सादगी के साथ अपना जीवन बिताया। बुद्धजीवियों ने गुजरात सरकार के इस फैसले को गांधी जी की दूसरी हत्या करार दिया है।