Covaxin लेने वाले हर 3 में से एक व्यक्ति में दिखे साइड इफेक्ट्स, किशोर लड़कियां सर्वाधिक प्रभावित
कोरोना महामारी से बचाव के लिए देश में अधिकतर लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगवाए थे। लेकिन, अब इन दोनों टीकों से गंभीर साइड इफेक्ट होने की बात सामने आ रही है।
वाराणसी। कोरोना महामारी से बचाव के लिए देश में बड़े पैमाने पर लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगवाए थे। लेकिन, धीरे-धीरे अब इन दोनों टीकों के गंभीर साइड इफेक्ट की बात सामने आने लगी है। कोविशील्ड को विकसित करने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनिका ने पिछले दिनों वहां की एक अदालत में स्वीकार किया था कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है। इसी तरह स्वदेशी निर्मित भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के साइड इफेक्ट को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट आई है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस वैक्सीन को लगवाने वाले हर तीन में से एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किशोर लड़कियां थीं। कुछ साइड इफेक्ट बेहद गंभीर किस्म के भी थे। यह बात इकोनॉमिक टाइम्स ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च के हवाले से लिखी है। यह रिसर्च रिपोर्ट बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में हुई स्टडी से सामने है।
कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट के तौर पर सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीनएजर्स, खास तौर पर किशोरियों और किसी भी एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को कोवैक्सिन से खतरा है। हालांकि कुछ दिन पहले कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई हुई वैक्सीन सुरक्षित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोवैक्सिन के ही दो डोज लगवाए थे। हालांकि, अब इस रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक टीका लगवाने वाले अधिकतर लोगों में एक साल तक साइड इफेक्ट देखा गया। स्टडी में 1024 लोगों को शामिल किया गया। इसमें 635 किशोर और 391 युवा थे। इन सभी से टीका लगवाने के एक साल बाद तक फॉलोअफ चेकअप के लिए संपर्क किया गया। स्टडी में 304 किशोरों यानी करीब 48 प्रतिशत में ‘वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन्स’ देखा गया। ऐसी स्थिति 124 यानी 42.6 फीसदी युवाओं में भी दिखी।
इसके अलावा 10.5 फीसदी किशोरों में ‘न्यू-ऑनसेट स्कीन एंड सबकुटैनियस डिसऑर्डर’, 10.2 जनरल डिसऑर्डर यानी आम परेशानी, 4.7 फीसदी में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर यानी नसों से जुड़ी परेशानी पाई गई. इसी तरह 8.9 फीसदी युवा लोगों में आम परेशानी, 5.8 फीसदी में मुस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर यानी मांसपेशियों, नसों, जोड़ों से जुड़ी परेशानी और 5.5 में नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी देखी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक कोवैक्सीन का साइड इफेक्ट युवा महिलाओं में भी देखा गया। 4.6 फीसदी महिलाओं में पीरियड से जुड़ी परेशानी सामने आई। 2.7 फीसदी में ओकुलर यानी आंख से जुड़ी दिक्कत दिखी। 0.6 फीसदी में हाइपोथारोइडिज्म पाया गया। जहां तक गंभीर साइड इफेक्ट की बात है तो यह करीब एक फीसदी लोगों में पाया गया. 0.3 फीसदी (यानी 300 में से एक व्यक्ति) में स्ट्रॉक की दिक्कत और 0.1 फीसदी में गुईलैइन-बैरे सिंड्रोम पाया गया।