चुनावी घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एमपी और राजस्थान सरकार को भेजा नोटिस, चुनाव आयोग से भी मांगा जवाब

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुफ्त की रेवड़ी बांटने जैसी घोषणाओं और योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

Updated: Oct 06, 2023, 03:53 PM IST

नई दिल्ली। चुनाव से पहले मुख्यमंत्रियों द्वारा की जा रही लोकलुभावने घोषणाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को नोटिस भेजा है। अदालत ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से भी जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने जवाब पेश करने के लिए 4 हफ्ते की मोहलत दी है।

कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नई जनहित याचिका को पहले से चल रही अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है। सभी मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने अश्विनी से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की। केंद्र ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो ये देश को 'भविष्य की आर्थिक आपदा' की ओर ले जाएगा। न्यायालय में जो याचिकाएं दायर की गई है उनमें आरोप लगाया गया कि मतदाताओं को लुभाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं हो सकता।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है। चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करें कि फ्री स्कीम्स क्या है और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे।