व्यापमं घोटाला मामले में बढ़ सकती है पूर्व CM शिवराज की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और CBI को भेजा नोटिस

पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने अपने पिटीशन में व्यापम घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री, जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था, से पूछताछ की मांग की है।

Updated: Sep 27, 2024, 03:05 PM IST

भोपाल। बहुचर्चित व्यापमं घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। व्यापमं घोटाले के व्हीसल ब्लोअर पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। सकलेचा ने सर्वोच्च न्यायालय में पिटीशन दायर कर तत्कालीन मुख्यमंत्री, जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, सचिव चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा संचालक, व्यापम के अध्यक्ष आदि से दस्तावेज पेश कर उनसे पूछताछ करने की मांग की थी।

पूर्व विधायक पारस सकलेचा का कहना है कि व्यापम मामला जुलाई 2009 में शासन के संज्ञान में आने तथा जांच कमेटी गठित करने के बाद भी 2010 से 2013 तक घोटाला होते रहा। इन बिंदुओं पर उन्होंने संबंधितों से पूछताछ करने की पिटीशन दायर की थी।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट में माननीय न्यायाधीश संजीव खन्ना तथा‌ माननीय न्यायाधीश संजय कुमार ने शासन तथा सीबीआई को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।

व्हीसल ब्लोअर सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा कि, 'एसटीएफ ने 27 नंबर 2014 को विज्ञप्ति क्रमांक 21503/14 जारी कर व्यापम की जांच में बिंदु शामिल करने के लिए आवेदन मांगा था। जिस पर उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज का आवेदन दिया था। एसटीएफ को 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के अतिरिक्त 71 पेज का लिखित बयान तथा 240 पेज के दस्तावेज दिये। 11 से 13 सितंबर 2019 को एसटीएफ में पुनः 13 घंटे तक बयान देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। 
वहीं, सीबीआई में अक्टूबर 2016 में बयान देने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन को कार्यवाही करने हेतु भेजा। जिस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सकलेचा ने आवेदन में कई दस्तावेजों का हवाला देकर आरोप लगाया कि सीबीआई तथा एसटीएफ ने व्यापम फर्जीवाड़े की जांच में काफी लीपापोती की है और अनेकों महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच में शामिल न कर बड़े लोगों को बचाने का कार्य किया है। मात्र रेकेटीयर, दलाल, स्कोरर, साल्वर, छात्र, अभिभावक तथा नाम मात्र के छोटे शासकीय अधिकारी को आरोपी बनाया है। उन्होंने अपने आवेदन में लगभग 850 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य अपने तथ्यों के प्रमाण में पेश कर निर्धारित समय सीमा में विवेचना कर नियमानुसार कार्यवाही करने की प्रार्थना माननीय न्यायालय में की है।