RGPV के पूर्व कुलपति और रजिस्ट्रार भगोड़ा घोषित, भोपाल पुलिस उन्हें पकड़ने वालों को देगी इनाम

RGPV के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत पर यूनिवर्सिटी के सरकारी खाते से 19.48 करोड़ रुपए प्राइवेट अकाउंट में ट्रांसफर करने का आरोप है।

Updated: Apr 03, 2024, 06:46 PM IST

भोपाल। भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे राजीव गांधी प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार, पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत और रिटायर्ड फायनेंस कंट्रोलर ऋषिकेष वर्मा को भोपाल पुलिस ने भगोड़ा घोषित किया है। पुलिस ने तीनों आरोपियों पर 3-3 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।

तीनों पर यूनिवर्सिटी के सरकारी खाते से 19.48 करोड़ रुपए प्राइवेट अकाउंट में ट्रांसफर करने का आरोप है। प्रो. सुनील कुमार, आरएस राजपूत, रिटायर्ड फायनेंस कंट्रोलर ऋषिकेष वर्मा, कुमार मयंक और दलित संघ सोहागपुर के खिलाफ भोपाल के गांधी नगर थाने में FIR दर्ज की गई थी। तभी से यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत फरार चल रहे हैं। जबकि कुमार मयंक को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) के अकाउंट से 19.48 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने नोटशीट में गलत तथ्यों को लिखा गया था। दलित संघ सोहागपुर और कुमार मयंक के प्राइवेट अकाउंट को नोटशीट में RGPV का अकाउंट बताया गया था। इसकी नोटशीट यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत ने तैयार कराई थी। यह खुलासा यूनिवर्सिटी में हुए 19.48 करोड़ रुपए की गड़बड़ी मामले की जांच रिपोर्ट में हुआ है।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रो. आरएस राजपूत और फायनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा ने 1.99 करोड़ और 8.01 करोड़ रुपए के दो अलग-अलग चेक वित्त शाखा से बनवाए थे। यह चेक यूनिवर्सिटी की फायनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा ने फायनेंस शाखा के क्लर्क संजय कद्रे से बनवाए थे। दोनों चेक पर रजिस्ट्रार राजपूत और फायनेंस कंट्रोलर वर्मा ने साइन किए थे।

साथ ही प्राइवेट खाते में 1.99 करोड़ और 8.01 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जाने के चेक और नोटशीट रजिस्ट्रार राजपूत और वर्मा ने अपने पास रख लिए थे। इसके लिए रजिस्ट्रार राजपूत ने कुमार मयंक के एक्सिस बैंक भोपाल के अकाउंट को नोटशीट में यूनिवर्सिटी अकाउंट लिखवाया था। जिससे वित्तीय गड़बड़ी को ऑडिट के दौरान ऑडिटर जांच कर पकड़ न सकें।