20 साल पुराने मानहानी केस में मेधा पाटकर दोषी करार, दिल्ली के LG वीके सक्सेना से जुड़ा है मामला

नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में दोषी ठहराया है।

Updated: May 24, 2024, 07:45 PM IST

नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें मानहानि के एक 20 साल पुराने मामले में दोषी ठहराया है। उनके खिलाफ दिल्ली के मौजूदा LG वीके सक्सेना ने साल 2003 में याचिका दायर की थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया। इस मामले उन्हें सजा के तौर पर अधिकतम दो साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हाे सकता है। 

साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा, 'शिकायतकर्ता को कायर, देशभक्त नहीं और हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाने वाले आरोपी के बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे। बिना किसी संदेह के यह साबित हो गया है कि आरोपी मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए थे।'

बताया जाता है कि वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने के लिए सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ दो मामले भी दर्ज किए थे। जिस मानहानि मामले में पाटकर को दोषी ठहराया गया है वह साल 2003 का है।