MP: जेल में बंद भाइयों को भी राखी बांध सकेंगी बहनें, इंदौर-रतलाम में हंगामे के बाद गृहमंत्री ने जारी किए आदेश

मध्य प्रदेश के जेलों में बंद कैदियों की बहनें जेल में जाकर मना सकती हैं रक्षा बंधन, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जारी किए आदेश, रतलाम और इंदौर में हंगामे के बाद लिया फैसला, हिंदू संगठन जेल के भीतर नो एंट्री को लेकर कर रहे थे हंगामा

Updated: Aug 12, 2022, 04:05 AM IST

भोपाल। देशभर में भाई बहनों के अटूट रिश्ते का पावन पर्व रक्षा बंधन हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में महिलाएं जेलों में बंद अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंची। हालांकि, उन्हें भाई से मिलने नहीं दिया गया, बल्की राखियां भाई तक भिजवा दी गई। रतलाम और इंदौर में महिलाएं अपने भाइयों को स्वयं जाकर राखी बांधने की अनुमति मांग रहीं थीं। अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने जमकर बवाल काटा। महिलाओं का आक्रोश बढ़ता देख गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राज्य के सभी जेलों को निर्देश दिया कि वे महिलाओं को दो दिन राखी बांधने की इजाजत दें।

जानकारी के मुताबिक इंदौर के केंद्रीय जेल में बंद अपने भाइयों को राखी बांधने आई महिलाओं को कैदियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। इसी बात से नाराज महिलाओं ने जेल के बाहर चक्काजाम कर दिया। दरअसल, रक्षाबंधन के मौके पर बड़ी संख्या में महिलाएं केंद्रीय जेल पहुंची थीं। लेकिन जब उन्हें पता चला कि राखी बांधने के लिए उन्हें कैदी भाइयों से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी तो उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने जेल के सामने की सड़क को जाम कर दिया। इस दौरान पुलिस कर्मियों ने महिलाओं को समझा-बुझाकर उनका चक्काजाम समाप्त कराया।

मामले पर केंद्रीय जेल की अधीक्षक अल्का सोनकर ने कहा कि जेल मुख्यालय ने रक्षाबंधन पर महिलाओं को उनके कैदी भाइयों से मिलवाकर राखी बंधवाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है और यह बात राज्य के सभी कारागारों पर लागू है। उन्होंने कहा, 'हमने जेल के बाहर जुटीं महिलाओं से राखियां लीं और इन्हें अपने स्टाफ की महिला कर्मचारियों से कैदियों को बंधवाया गया।’ सोनकर के मुताबिक कोविड-19 के खतरे के मद्देनजर इस बार ईद पर भी कैदियों को उनके परिजनों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी।

उधर रतलाम में जिला जेल (सर्किल जेल) के अंदर भाइयों को राखी बांधने की अनुमति नहीं मिलने पर महिलाएं भड़क गईं। यहां हिंदू संगठन के लोग भी जमा हो गए और उन्होंने महिलाओं के साथ मिलकर जेल गेट पर जमकर नारेबाजी किया। साथ ही जेल के बाहर मुख्य रोड को जाम कर दिया गया। मौके पर हंगामे की स्थिति बन गई। हिंदू संगठनों ने मांग करते हुए कहा कि जेल में निरुद्ध बंदियों को उनकी बहनों के हाथों से ही राखी बंधवाई जाए। 

हालांकि, जेल अधिकारियों ने तर्क दिया कि गृह विभाग से मिले निर्देशों के अनुसार टेलीफोन से बात करवाकर उनकी लाई हुई राखी, मिठाई बंदी तक पहुंचाने का सिस्टम लागू किया गया है। बहन और परिजनों द्वारा लाई गई मिठाई, राखी और नारियल लेकर व्यवस्थित तरीके से संबंधित बंदी तक पहुंचाया जा रहा है। पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित की जा रही है।

जेल के सामने की रोड पर प्रदर्शन के कारण वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई और लोग परेशान होते रहे। हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस बात पर अड़े रहे कि बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर खुद ही राखी बांधने दी जाए। लेकिन जेल प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ। दोपहर तक बंदियों से उनकी बहनों की टेलीफोन से बातचीत कराई गई। 

हालांकि, विवाद गहराता देख गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा हरकत में आए और उन्होंने जेलों में भी छूट देने का ऐलान कर दिया। मिश्रा ने बयान जारी कर बताया कि उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह और महानिदेशक जेल को प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को उनके बहनों के द्वारा राखी बांधने की इजाजत देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि, 'रतलाम और इंदौर से शिकायतें आई हैं कि कैदियों को उनकी राखी बांधने पहुंची बहनों को दिक्कत हुई है। लिहाजा उन्होंने डीजी जेल और एसीएस से कहा है कि आज और कल  सभी बहने जेल में बंद अपने कैदी भाइयों को राखी बांध सकें और उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो।'