बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषियों की सजा माफी का आदेश निरस्त

बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रद्द कर दिया है।

Updated: Jan 08, 2024, 11:26 AM IST

नई दिल्ली। बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। सर्वोच्च अदालत ने गैंगरेप के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है।

गुजरात सरकार के आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की तकलीफ का अहसास जरूरी है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराध का अहसास होने के लिये सजा दी जाती है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। वह दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो इसका पूरा अधिकार वहां की राज्य सरकार को है। क्योंकि जिस राज्य में किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसी को दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने का अधिकार है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सवाल ये है कि क्या समय पूर्व रिहाई दी जा सकती है? हम पूरी तरह कानूनी सवाल पर जाएंगे, लेकिन पीड़ित के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं। नारी सम्मान की पात्र है। क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में छूट दी जा सकती है? ये वो मुद्दे हैं, जो उठते हैं।

बता दें कि 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद में बिलकिस बानो के परिवार पर हमला हुआ था। इस दौरान उनका गैंगरेप किया गया। उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई। बिलकिस तब 5 महीने की गर्भवती थीं और गोद में 3 साल की एक बेटी भी थी। इस दौरान उनकी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार डाला गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को सभी दोषियों को रिहा कर दिया था। जेल से बाहर आने के बाद आरोपियों का फूल माला के साथ स्वागत भी किया गया था। बहरहाल, सर्वोच्च न्यायालय ने अब इस मामले में दोषियों की रिहाई के आदेश को रद्द कर दिया है।