24 घंटे में मिल जाएगी डोनर्स की डिटेल्स, SBI को 4 महीने क्यों चाहिए, केंद्र सरकार पर बरसे कांग्रेस अध्यक्ष
SBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसे 30 जून तक इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल्स देने का समय दिया जाए, सर्वोच्च अदालत ने बैंक को 6 मार्च तक सारे डिटेल्स निर्वाचन आयोग को देने की डेडलाइन दी थी।
नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। इसी बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने डोनर्स की डिटेल्स चुनाव आयोग को देने के लिए चार महीने का समय मांगा है। जबकि सर्वोच्च अदालत ने 6 मार्च की समयसीमा तय की थी। इसी मुद्दे पर अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र को घेरा है। उन्होंने कहा कि डोनर्स की डिटेल्स 24 घंटे में निकाली जा सकती है। ऐसे में बैंक को चार महीने क्यों चाहिए?
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार चुनावी बांड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में उपयोग कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, 'देश के सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बांड की मोदी सरकार की 'काला धन रूपांतरण' योजना को असंवैधानिक, आरटीआई का उल्लंघन और अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही एसबीआई को 6 मार्च तक डाटा विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। लेकिन बीजेपी चाहती है कि इसे लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए।'
उन्होंने आगे लिखा कि इस लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म होगा और एसबीआई 30 जून तक डेटा साझा करना चाहता है। क्योंकि बीजेपी इस फर्जी योजना की मुख्य लाभार्थी है।
Modi Govt is using the largest bank of our country as a shield to hide its dubious dealings through Electoral Bonds.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) March 5, 2024
No less than the Supreme Court of India had struck down Modi Govt’s 'Black Money Conversion' scheme of Electoral Bonds, holding it “Unconstitutional”, “Violative…
कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से दो सवाल भी किए हैं। साथ ही बताया है कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही कहती आ रही है कि इलेक्टोरल बॉन्ड अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक है। खरगे ने सवाल किया, 'क्या मोदी सरकार बीजेपी के संदिग्ध सौदों को नहीं छिपा रही है, जहां इन अपारदर्शी इलेक्टोरल बॉन्ड के बदले हाइवे, बंदरगाहों, एयरपोर्ट, पावर प्लांट्स आदि के कॉन्ट्रैक्ट मोदी जी के करीबियों को सौंपे गए?
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खड़गे ने दूसरा सवाल किया, 'एक्सपर्ट्स का कहना है कि डोनर्स की 44,434 ऑटोमेटेड डाटा एंट्री को केवल 24 घंटों में सामने लाया जा सकता है, फिर इस जानकारी को इकट्ठा करने के लिए एसबीआई को 4 महीने और क्यों चाहिए?' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी बिल्कुल स्पष्ट थी कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और एक समान मौका देने को बर्बाद करने वाली रही है। लेकिन मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने हर संस्थान को नुकसान पहुंचाया है, फिर वो आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद या फिर विपक्ष ही क्यों न हो, ताकि बीजेपी का खजाना भरा जा सके। उन्होंने कहा कि अब हताश मोदी सरकार, तिनके का सहारा लेकर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विफल करने के लिए एसबीआई का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।