हमारा विलय गांधी के भारत से हुआ था, गोडसे के भारत से नहीं: फारुख अब्दुल्ला

कश्मीर मुद्दे पर फारुख अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को घेरा, बोले- हम गांधी के रास्ते पर चलते हैं, आपका मुकाबला करेंगे और गांधी का भारत वापस लाएंगे.. उन्होंने यह भी कहा है कि हमने वो नमक नहीं खाया जिससे डर जाएंगे

Updated: Dec 08, 2021, 02:15 PM IST

श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है। अब्दुल्ला ने कश्मीर मुद्दे को लेकर कहा है कि हम गांधी के भारत के साथ जुड़े थे, गोडसे के भारत से नहीं। अब्दुल्ला ने कहा है कि हमने वो नमक नहीं खाया जिससे हम डर जाएंगे, बल्कि हम आपका मुकाबला करेंगे और गांधी का भारत वापस लाएंगे।

जम्मू कश्मीर के दिग्गज नेता फारुख अब्दुल्ला मंगलवार को जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एनसी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'हमने कभी भारत के खिलाफ नारे नहीं लगाए। लेकिन इसी जम्मू में हमें पाकिस्तानी कहा जाता है। मुझे खालिस्तानी भी कहा गया। कहा गया कि मैं भिंडरावाले से मिला हुआ हूं। मैं पूछता हूं कि मैंने किस गुरुद्वारे में गोली चलवाई। हमने कभी बंदूक नहीं उठाई, ग्रेनेड नहीं उठाया, पत्थर नहीं मारे। हम गांधी के रास्ते पर चलते हैं और गांधी का भारत वापस लाना चाहते थे। हमारा विलय गांधी के भारत से हुआ था न कि गोडसे के भारत से।'

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अब्दुल्ला ने आगे कहा कि, 'जम्मू-कश्मीर की स्थिति बेहद गंभीर है। क्योंकि पीएम मोदी दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी मिटाने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। वो समझते हैं कि हम डर जाएंगे। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। हमने डरने वाला नमक नहीं खाया। हम आपका मुकाबला करेंगे। ईमानदारी से लड़ाई लड़ेंगे और गांधी का भारत वापस लाएंगे, सिर्फ गांधी का भारत। हमारी लड़ाई हमारे अधिकारों के लिए है।'

पूर्व सीएम ने इस दौरान धर्म को लेकर कहा कि, 'हमने कभी हिंदू, मुसलमान और सिख, ईसाई में कोई फर्क नहीं किया। मैंने यदि नेहरू के खानदान में जन्म लिया होता तो मैं आज ब्राह्मण होता। इंदिरा गांधी ने यदि मेरे घर में जन्म लिया होता तो वह मुसलमान होतीं।' अब्दुल्ला ने मोदी सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, 'उन्हें लगता है कि उनके पास बहुमत है तो वे कुछ भी कर सकते हैं। उनके पास संसद में विपक्ष को सुनने का धैर्य नहीं है।'

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अब्दुल्ला ने कहा, 'किसान आंदोलन में 750 किसानों की मौत हुई। केंद्र सरकार ने जब देखा कि इसका असर पांच राज्यों के चुनावों पर होगा, तो उन्होंने तीन कृषि कानून वापस ले लिया। जब मोदी सरकार द्वारा संसद में तीन कृषि कानूनों को पारित किया जा रहा था, तो हमने केंद्र को इस पर चर्चा करने का सुझाव दिया था, लेकिन वे नहीं माने। और हमें वॉकआउट करना पड़ा। कानून वापसी के समय भी हमने चर्चा की सलाह दी, लेकिन उन्होंने एक शब्द नहीं सुना।'