खनिजों पर राज्यों को रॉयल्टी वसूलने का कानूनी अधिकार, सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को बड़ा झटका

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सात अन्य जजों के साथ बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताते हुए इनके खिलाफ फैसला सुनाया।

Updated: Jul 25, 2024, 03:48 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के तहत राज्यों को खदानों और खनिजों वाली भूमि पर रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निकाले गए खनिज पर देय रॉयल्टी कोई कर नहीं है।

कोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि ये फैसला राज्य सरकारों के हक में है।सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से ये फैसला सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सात अन्य जजों के साथ बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताते हुए इनके खिलाफ फैसला सुनाया।

बहुमत के फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत की सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का 1989 का फैसला, जिसमें कहा गया था कि रॉयल्टी एक कर है, गलत है। वहीं इस फैसले से असहमत जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की विधायी क्षमता नहीं है।

पीठ ने इस बेहद विवादास्पद मुद्दे पर फैसला किया कि क्या खनिजों पर देय रॉयल्टी खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत एक कर है, और क्या केवल केंद्र को ही इस तरह की वसूली करने की शक्ति है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का अधिकार है। हालांकि बहुमत न होने की वजह से उनका फैसला लागू नहीं हो सका।