माध्यमिक शिक्षा में फिसड्डी है मध्य प्रदेश, स्कूल छोड़नेवाले छात्रों की संख्या देश में सबसे ज़्यादा

केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में पता चला है कि 14 से 18 आयु वर्ग में स्कूल छोड़नेवाले यानी ड्रॉपआउट छात्र-छात्राओं की संख्या सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश से है.. बीते शैक्षणिक सेशन में देशभर के राज्यों की सूची में सबसे ज़्यादा 84 हज़ार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया

Updated: Feb 09, 2023, 06:55 AM IST

भोपाल। माध्यमिक शिक्षा के मामले में देशभर में सर्वाधिक खस्ता हाल भाजपा शासित मध्य प्रदेश का है। साल 2022-23 में राज्य के 14 से 18 आयुवर्ग के 84 हजार छात्रों पढ़ाई छोड़ दी है। देशभर में यह सर्वाधिक है। माध्यमिक शिक्षा में राज्य की बदहाली का खुलासा केंद्र सरकार द्वारा संसद में जारी एक रिपोर्ट में हुआ है।

दरअसल, केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में साल 2022-23 में देश भर में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बताई है। केंद्र के अनुसार बीते साल कुल 12 लाख 53 हजार 19 छात्र- छात्राओं ने स्कूल छोड़ा है। जिनमें लड़कों की संख्या 6 लाख 97 हजार 121 है और लड़कियों की संख्या 6 लाख 22 हजार 078 है। 

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यह जानकारी शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य और एए रहीम द्वारा पूछे गए सवालों के लिखित जवाब में दिया है। केंद्र द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022-23 में माध्यमिक स्तर पर (14 से 18 के बीच) 3 लाख 22 हजार 488 छात्र-छात्राओं ने स्कूल छोड़ा है। इनमें 1 लाख 94 हजार 350 लड़के, 1 लाख 28 हजार 126 लड़कियां और 12 ट्रांसजेंडर हैं। 

माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ने वालों में सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश के स्टूडेंट्स की है। यहां 84 हजार 788 छात्र-छात्राओं ने 14 से 18 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी। इनमें 49,874 छात्र और 34,909 छात्राएं शामिल हैं। जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान की हालत काफी बेहतर है। कांग्रेस शासित राजस्थान में पिछले साल माध्यमिक स्तर पर सिर्फ 2301 स्टूडेंट्स ने पढ़ाई छोड़ी। इनमें लड़कियों की संख्या महज 43 है।

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केंद्र सरकार का यह जवाब मध्य प्रदेश सरकार द्वारा माध्यमिक स्तर पर छात्र-छात्राओं को किताबें और ड्रेस से लेकर मिड डे मील देने के तमाम दावों की पोल खोलता है। 

बता दें कि दो महीने पहले ही में मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा के स्तर को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि राज्य में पहली से तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 25 लाख बच्चों में से करीब 89% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचान सकते, तो 75% बच्चे शब्द नहीं पढ़ पाते। 85% बच्चे ऐसे हैं जो वाक्य तक नहीं बना पाते।