मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, पुरी शंकराचार्य ने अयोध्या नहीं जाने का किया ऐलान

राम मंदिर पर जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह नहीं होनी चाहिए। मोदी जी लोकार्पण करेंगे और हम वहां तालियां बजाएंगे क्या? प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए... इसलिए मैं अयोध्या नहीं जाऊंगा: शंकराचार्य

Updated: Jan 04, 2024, 01:37 PM IST

रतलाम। ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रहा है इसलिए वह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने राम मंदिर के नाम पर हो रही राजनीति को लेकर भी आपत्ति जताई है।

बुधवार को स्वामी निश्चलानंद सरस्वती रतलाम में थे। वे यहां त्रिवेणी तट पर आयोजित हिंदू जागरण सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि वे श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शरीक नहीं होंगे। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेगे और हम वहां तालियां बजाएंगे क्या? मेरा जो पद है उसकी भी मर्यादा है। कार्यक्रम में प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए... इसलिए मैं अयोध्या नहीं जाऊंगा।

शंकराचार्य स्वामी ने आगे कहा, 'राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं। मुझे जो आमंत्रण मिला है उसमें लिखा है कि आप और आपके साथ सिर्फ एक व्यक्ति आयोजन में आ सकता है। इसके अलावा हमसे किसी तरह का अब तक संपर्क नहीं किया गया है।' शंकराचार्य ने धर्म स्थलों पर बनाए जा रहे कॉरिडोर की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि आज सभी प्रमुख धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। इस तरह इन्हें भोग-विलासता की चीजों को जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है।

राम मंदिर पर हो रही राजनीति की भी उन्होंने आलोचना की है। शंकराचार्य स्वामी ने कहा कि राम मंदिर जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह नहीं होनी चाहिए। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण में जुट गई है। सत्ताधारी दल महंगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम असल मुद्दों के बजाए सिर्फ राम मंदिर पर बात कर रही है। हालांकि अब राम मंदिर के नाम पर हो रही राजनीति पर पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई है।