अमेरिकी संसद में उठा भोपाल गैस त्रासदी का मुद्दा, 12 सांसदों ने की कंपनी पर मुकदमा चलाने की मांग

अमेरिकी सांसदों ने कहा कि भारत जा रहे हैं तो अपने ऊपर लगे दाग को धोकर जाइये। भोपाल गैस त्रासदी का कलंक मिटाने के लिए अमेरिकी सरकार को एक्शन लेना चाहिए।

Publish: Sep 08, 2023, 11:45 AM IST

Image courtesy-DB
Image courtesy-DB

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सन 1984 में हुए भयावह गैस कांड का मुद्दा एक बार फिर उठा है। गैस त्रासदी की 40वीं बरसी से ठीक पहले अमेरिका में दोषी कंपनी डॉउ केमिकल के खिलाफ कार्रवाई की मांग हुई है। अमेरिकी कांग्रेस के 12 सदस्यों ने संसद में कंपनी के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने वहां के न्याय विभाग को पत्र लिखकर कंपनी पर पहले से चल रहे आपराधिक मामले में भोपाल जिला अदालत के समन को शामिल करने के साथ तत्काल एक्शन लेने की मांग की है।

बता दें कि डॉउ केमिकल कंपनी के पास ही भोपाल की यूनियन कार्बाइड कंपनी लिमिटेड की 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। इसी कंपनी की फैक्ट्री में गैस लीक हुई थी। जिसमें भोपाल के हजारों लोगों की सांसे थम गईं थीं। 3 दिसंबर 1984 की उस रात का खौफ आज भी लोगों के जहन से नहीं निकल पाया है। जिसमें हजारों लोग मारे गए और हजारों लोग जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए।

अमेरिकी संसद में भोपाल की अदालत के द्वारा भेजे गए समन का जिक्र है। भोपाल की अदालत ने अबतक डॉउ केमिकल को सात समन भेजे हैं। लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया अब सातवें समन में एक बार फिर कंपनी के अधिकारियों को 4 अक्टूबर को अदालत में पेश होने को कहा गया है। इसी समन को आधार बना कर अमेरिका में कंपनी के खिलाफ मुकदमा चलाने और भारत में चले रहे मुकदमों में कंपनी को शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।

पत्र में सदस्यों ने कहा कि भारत जा रहे हैं तो अपने इस कलंक को मिटा कर जाएं। बेगुनाहों को न्याय मिल सके इसके लिए जरूरी है कि कंपनी पर मुकदमा चलाया जाए। वहीं इसपर भोपाल गैस पीड़ित संगठन की प्रमुख रचना ढींगरा ने कहा कि जहां एक तरफ हमारी सरकार ने आरोपियों को कई बार बचाने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर अमेरिकी सांसद पीड़ितों के साथ खड़े हैं। 

अमेरिकी अखबार द वीक में छपी खबर के अनुसार डॉउ केमिकल को समन भेजने के बाद भी अमेरिकी सरकार ने अभी तक कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं की गई। जिसपर 12 कांग्रेस सदस्यों ने अमेरिकी न्याय विभाग के डिप्टी अटॉर्नी जनरल लिसा मोनाको को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होनें कहा कि "विभाग की निष्क्रियता अंतरराष्ट्रीय कानूनी और नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए हमारे देश की प्रतिष्ठा पर एक दाग लगा रही है जिसे ठीक किया जाना चाहिए।"

पत्र लिखने वाले सदस्यों में रशीदा तलीब, फ्रैंक पैलोन जूनियर, प्रमिला जयपाल, जेम्स पी. मैकग्रोवेन, राउल एम. ग्रिजाल्वा, लिंडा टी. सांचेज़, डेविड जे. ट्रोन, बारबरा ली, जेमी रस्किन, एलेनोर होम्स नॉर्टन, ग्रेग कैसर और कोरी बुश शामिल हैं।

बता दें कि 2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस लीक हुई थी। जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। तत्कालीन यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन इस मामले में मुख्य आरोपी थे, लेकिन मुकदमे के लिए उपस्थित नहीं हुए। भोपाल की एक अदालत ने उन्हें 1992 में भगोड़ा घोषित कर दिया था। वहीं 7 जून 2010 को भोपाल की अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के सात अधिकारियों को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।