इंदिरा गांधी ने भी किया था ऐसी स्थिति का सामना, EC के फैसले को स्वीकार करें: उद्धव को शरद पवार की सलाह

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को 'शिवसेना' नाम और उसका चुनाव चिह्न 'तीर-कमान' आवंटित किया है।

Updated: Feb 18, 2023, 06:51 AM IST

मुंबई। केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर जारी खींचतान पर विराम लगा दिया है। आयोग ने निर्णय लिया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को दिया जाएगा। चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद सियासी बयानबाजी का दौर जारी है। जहां शिंदे गुट ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं उद्धव ठाकरे ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। इसी बीच एनसीपी चीफ शरद यादव ने उद्धव ठाकरे को EC का फैसला स्वीकारने का सलाह दिया है।

उद्धव ठाकरे के सहयोगी एनसीपी चीफ शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले पर प्रीतिक्रिया देते हुए इंदिरा गांधी का जिक्र किया। शरद पवार ने कहा कि मुझे याद है कि इंदिरा गांधी ने भी इस स्थिति का सामना किया था। कांग्रेस के पास ‘दो बैल एक जुए के साथ’ का प्रतीक हुआ करता था। बाद में उन्होंने इसे खो दिया और ‘हाथ’ को एक नए प्रतीक के रूप में अपनाया और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। इसी तरह उद्धव ठाकरे के दल को भी नए नाम और चिन्ह के साथ स्वीकार कर लेंगे।

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शरद पवार ने कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला है। एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसे स्वीकार करें और एक नया प्रतीक लें। पुराने चुनाव चिह्न के चले जाने का कोई खास असर नहीं होने वाला क्योंकि लोग नया चुनाव चिह्न स्वीकार कर लेंगे। वहीं, शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को ‘‘अप्रत्याशित'' करार दिया। उन्होंने पूछा कि निर्वाचन आयोग ने फैसला सुनाने में जल्दबाजी क्यों की। उन्होंने कहा कि शिवसेना के आम कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहेंगे।

पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना मानने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को शुक्रवार को ‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’ बताया और कहा कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। निर्वाचन आयोग के फैसले के कुछ घंटों बाद मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार का ‘गुलाम’ बन गया है। उन्होंने कहा कि यह कल हमारे ‘मशाल’ के चिह्न को भी छीन सकता है।

उधर मुख्यमंत्री शिंदे ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद अपने आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में अपने समर्थकों के साथ जश्न मनाया। उद्धव ठाकरे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, उन्होंने कहा कि उन्होंने तीर-कमान के चिह्न को मुक्त करा लिया है जिसे उद्धव ठाकरे ने 2019 में कांग्रेस और एनसीपी के पास गिरवी रख दिया था। शिंदे ने कहा, ‘आप बालासाहेब की संपत्ति के मालिक हो सकते हैं, लेकिन पार्टी और विचारधारा के नहीं।'