FIR दर्ज़ करने में 15 दिन लग गए, मणिपुर में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है: कांग्रेस

मणिपुर की घटना को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अब केवल शब्दों से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जवाबदेही से बच नहीं सकते। मणिपुर के मुख्यमंत्री को तुरंत पद छोड़ देना चाहिए।

Updated: Jul 20, 2023, 02:33 PM IST

नई दिल्ली। हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को लेकर आखिरकार पीएम मोदी ने चुप्पी तोड़ दी है। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक घटना है। इस बीच कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरा है। 

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, 'आज 1800 घंटे से अधिक समय की असंवेदनशील और क्षमा न किए जाने योग्य चुप्पी के बाद आख़िरकार प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर कुल 30 सेकंड तक बात की। उसके बाद उन्होंने मणिपुर में शासन की विफलताओं और मानवीय त्रासदी से ध्यान हटाने का प्रयास किया। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को नजरअंदाज़ करते हुए उन्होंने मणिपुर की घटना को अन्य राज्यों - खासकर विपक्ष द्वारा शासित राज्यों - में महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए अपराधों से तुलना करने की कोशिश की।'

जयराम रमेश ने आगे कहा, 'पहली बात तो उन्होनें मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज़ कर दिया। उन्होंने न तो शांति की कोई अपील की और न ही मणिपुर के मुख्यमंत्री से अपना पद छोड़ने के लिए कहा। उन्होंने सिर्फ एक वायरल वीडियो पर टिप्पणी की। लेकिन यह तो मणिपुर में हुई बर्बर हिंसा की सैकड़ों घटनाओं का एक मात्र उदाहरण है।'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'दूसरी बात, प्रधानमंत्री ने मणिपुर में सुनियोजित और लगातार जारी हिंसा को अन्य राज्यों में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों के साथ जोड़ने की कोशिश की। कांग्रेस शासित राज्यों में ऐसे अपराधियों को 24 घंटे के अंदर गिरफ़्तार किया गया है। मणिपुर में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ करने में 15 दिन लग गए और आज, 64 दिन बाद, मणिपुर के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि गिरफ्तारियां हुई हैं। मणिपुर में कानून और प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।'

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि, 'हिंसा को रोकने के लिए समय पर कदम नहीं उठाए जाने के कारण हालात काफी भयावह हो गए हैं। अब केवल शब्दों से काम नहीं चलेगा। कथनी और करनी में फ़र्क नहीं दिखना चाहिए। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जवाबदेही से नहीं बच सकते। मणिपुर के मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए। मणिपुर में शांति और समाधान के लिए - INDIA लगातार जवाब मांगता रहेगा।'