DU के प्रोफेसर रतनलाल को मिली जमानत, ज्ञानवापी मामले में फेसबुक पोस्ट को लेकर हुई थी गिरफ्तारी

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल ने ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से मिले शिवलिंग नुमा आकृति को लेकर किया था पोस्ट, दिल्ली पुलिस ने धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के आरोप में किया था गिरफ्तार

Updated: May 21, 2022, 02:00 PM IST

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल को कोर्ट से जमानत मिल गई है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावों पर व्यंगात्मक फेसबुक पोस्ट करने के मामले में सुनवाई करते हुए तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। कोर्ट के इस फैसले को सोशल मीडिया पर लोग कानून और संविधान की जीत बता रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार दोपहर करीब 3 बजे प्रोफेसर रतनलाल को दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में पेश किया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने रतनलाल को जमानत देने का ऐलान किया। प्रोफेसर रतनलाल को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है।

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कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतनलाल की रिमांड नही मांगी थी बल्कि कहा था कि आरोपी की ज्यूडिशियल कस्टडी चाहिए। पुलिस ने तर्क दिया कि एक पढ़े लिखे आदमी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। आगे से वे ऐसी गलती न करें, इसके लिए पुलिस ने बिना नोटिस दिए, सीआरपीसी 41A के तहत गिरफ्तार किया।

हर किसी को बोलने की आजादी

इस पर रतनलाल के वकील ने जवाब दिया कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है। गिरफ्तारी छोड़िए, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होनी चहिए। अभी तक सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है। ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है।अगर किसी व्यक्ति की सहनशक्ति कम है, तो उसके लिए रतनलाल कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां हर किसी को बोलने की आजादी है। ये एफआईआर रद्द होनी चाहिए।

इस पर प्रोफेसर के वकील ने कहा कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए। ये कानून का दुरुपयोग होगा। इस तरफ से होगा तो जेल बुद्धजीवियों से भर जाएगी। उधर पुलिस ने तर्क दिया कि अगर इन्हें जमानत दी गई, तो समाज में गलत मैसेज जाएगा। अगर ये जमानत पर छूटे तो और भी लोग ऐसा करने का साहस करेंगे।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित रूप से मिले शिवलिंगनुमा आकृति को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सवाल खड़ा किया था। इस मामले पर हिंदूवादी संगठनों ने हंगामा शुरू कर दिया था और बुधवार को रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और शुक्रवार देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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रतनलाल के खिलाफ शिकायत सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने दर्ज कराई थी। जिंदल ने अपनी शिकायत में कहा कि रतन लाल ने शिवलिंग पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था। हालांकि, अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए, प्रोफेसर रतना लाल ने पहले ही कहा था कि, 'मैने किसी की भावनाएं आहत नहीं की हैं। मैंने एक संभावना व्यक्त की है। भारत में, यदि आप कुछ भी बोलते हैं, तो किसी न किसी की भावना आहत होगी। इसलिए यह कोई नई बात नहीं है, मैं एक इतिहासकार हूं और मैंने कई टिप्पणियां की हैं।'

रतनलाल की गिरफ्तारी को लेकर दलित संगठनों ने भी बीजेपी सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। शनिवार को सुबह से ही ट्विटर पर भी रतनलाल की रिहाई संबंधी पोस्ट टॉप ट्रेडिंग बनी रही। लोग शीघ्र उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे।