Farmer Protest Live Updates: कृषि मंत्री ने कहा, कानूनों को डेढ़ साल के लिए टालने से बेहतर प्रस्ताव नहीं दे सकती सरकार
किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा ख़त्म, बातचीत की अगली तारीख़ अभी तय नहीं, कृषि कानूनों पर डेढ़ साल के लिए अमल रोकने का प्रस्ताव किसान नेताओं ने किया ख़ारिज
किसान संगठन बड़े मन से सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें : कृषि मंत्री तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान नेताओं के साथ बातचीत खत्म होने के बाद कहा कि किसान आंदोलन के मुद्दों के समाधान के लिए भारत सरकार ने 11 दौर में लगभग 45 घंटे किसान यूनियनों के साथ विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों में सहमति के अभाव के कारण वार्ता आज स्थगित हो गई, इसका मुझे दुख है। आशा है किसान संगठन बड़े मन से सरकार के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करेंगे।
दरअसल सरकार ने किसानों के सामने तीनों विवादित कानूनों पर अमल डेढ़ साल के लिए टालने की पेशकश की है। कृषि मंत्री ने यह प्रस्ताव बुधवार को ही किया था, जिस आज फिर से किसानों को पुनर्विचार करने को कहा गया। लेकिन किसान नेताओं का यही कहना है कि वे तीनों कानूनों को टालने की नहीं, बल्कि पूरी तरह से वापस लिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लिहाजा सरकार का ये प्रस्ताव उन्हें मंज़ूर नहीं है।
अगली बैठक की तारीख़ अभी तक तय नहीं
आज वार्ता खत्म होने तक यह साफ नहीं हो सका कि किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता कब होगी। खबरों के मुताबिक कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि अगर किसान चाहें तो वे कल भी बात करने को तैयार हैं, लेकिन विज्ञान भवन कल खाली नहीं है। इसके बाद अगली तारीख तय किए बिना ही आज की वार्ता खत्म हो गई। इससे पहले कृषि मंत्री तोमर ने आज किसान नेताओं से साफ कहा कि कृषि कानूनों पर अमल को डेढ़ साल तक टालने से बेहतर प्रस्ताव सरकार नहीं दे सकती। उन्होंने किसान नेताओं से कहा कि वे सरकार के इस प्रस्ताव पर एक बार फिर से विचार कर लें।
सरकार ने कहा, इससे बेहतर प्रस्ताव नहीं दे सकते
किसानों और सरकार के बीच आज ग्यारहवें दौर की वार्ता भी किसी नतीजे पर पहुंचे बिना ही खत्म हो गई। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार ने कहा कि कृषि कानूनों पर अमल को डेढ़ साल तक रोकने के उसके प्रस्ताव पर किसान फिर से विचार करें। लेकिन किसान नेताओं ने जब कहा कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं है तो सरकार ने कहा कि इससे बेहतर प्रस्ताव हम नहीं दे सकते।
शरद पवार मुंबई में किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करेंगे
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एलान किया है कि वे कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता का इज़हार करने के लिए मुंबई में आयोजित प्रदर्शन में शामिल होंगे। पवार ने यह बात आज मुंबई से 375 किलोमीटर दूर कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
हम क़ानूनों की वापसी की माँग पर अडिग हैं : किसान नेता दर्शन पाल
किसान नेता दर्शन पाल ने वार्ता के दौरान हुए एक ब्रेक के दौरान मीडिया को बताया कि उन्होंने सरकार के सामने बार-बार साफ किया है कि तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर वे अब भी कायम हैं। इससे कम पर कोई सहमति नहीं बनेगी। लेकिन कृषि मंत्री ने उनसे आग्रह किया कि वे एक बार फिर से इस प्रस्ताव पर आपस में बात करके अपना फैसला सरकार को बताएं।
सरकार ने फिर दिखाई क़ानूनों पर अमल एक-डेढ़ साल के लिए रोकने की तैयारी
मोदी सरकार ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संगठनों से कहा है कि वो तीनों कृषि कानूनों पर अमल को एक-डेढ़ साल के लिए रोकने की उसकी पेशकश पर फिर से विचार करें। सरकार ने बुधवार की वार्ता में पहली बार किसानों के सामने यह प्रस्ताव रखा था। जिस पर गुरुवार को किसान संगठनों ने विचार भी किया। लेकिन अब तक वे इसे मानने को तैयार नहीं हुए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की अपनी मांग पर वे अब भी कायम हैं।
सरकार को क़ानून पर अमल रोकने का अधिकार नहीं : यशवंत सिन्हा
वरिष्ठ राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि संसद में पारित कानून पर अमल रोकने या उसे ठंडे बस्ते में डालने का कोई अधिकार नहीं है। खास करके तब जबकि उससे जुड़े नियमों को अधिसूचित भी किया जा चुका हो। सिन्हा ने कहा है कि ऐसे कानून को तो सिर्फ रद्द ही किया जा सकता है। देश के तमाम अहम केंद्रीय मंत्रालयों की कमान संभाल चुके यशवंत सिन्हा का यह बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया है कि वो तीनों कृषि कानूनों पर अमल डेढ़ साल के लिए रोकने को तैयार है।
Govt does not have the power to keep a law passed by Parliament in abeyance specially when it's rules have been notified. Such a law can only be repealed.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 22, 2021
क़ानूनों पर अमल टालने का प्रस्ताव ख़ारिज नहीं : जगजीत सिंह दालेवाल
मीडिया में आज आ रही खबरों के मुताबिक तीनों नए कृषि कानूनों पर अमल डेढ़ साल के लिए टालने के प्रस्ताव को किसान नेताओं ने पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। दैनिक हिंदुस्तान के मुताबिक सरकार के साथ वार्ता शुरू होने से पहले भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दालेवाल ने कहा है कि कानून पर अमल टालने के सरकार के प्रस्ताव को किसान नेताओं द्वारा खारिज करने से जुड़ी खबरें गलत हैं, क्योंकि किसान संगठनों ऐसा कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। अगर दालेवाल की बात सही है तो आज वार्ता से कोई समाधान निकलने की उम्मीद की जा सकती है।
क्या आज सरकार के रुख़ में और लचीलापन दिखेगा
नए कृषि कानूनों के खिलाफ में 58 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के मंत्रियों के बीच 11वें दौर की वार्ता जारी है। विज्ञान भवन में हो रही बैठक में किसान नेताओं के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल हिस्सा ले रहे हैं। मोदी सरकार ने वार्ता के पिछले दौर में कानूनों पर अमल डेढ़ साल के लिए रोकने का प्रस्ताव देकर अपने रुख में लचीलेपन के संकेत दिए थे। अब देखना ये होगा क्या आज की वार्ता में यह बात कहां तक पहुंचती है।