छत्तीसगढ़: करोड़ों के भारत माला प्रोजेक्ट घोटाले में ABC-EOW की बड़ी कार्रवाई, कई राजस्व अधिकारियों के छापेमारी
भारत माला प्रोजेक्ट में 43 करोड़ से अधिक के मुआवजा घोटाले को लेकर ACB-EOW ने छापेमारी की है। SDM, तहसीलदार और पटवारियों समेत 20 अधिकारियों के ठिकानों पर कार्रवाई जारी है।

रायपुर| भारत माला प्रोजेक्ट में सामने आए मुआवजा घोटाले को लेकर ACB और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में करीब 17 से 20 अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। जांच के घेरे में आए अधिकारियों में SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक शामिल हैं। रायपुर में तत्कालीन SDM निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के निवास पर दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है।
मामले में सेज बहार कॉलोनी स्थित एक अन्य राजस्व अधिकारी के घर भी सुबह छह बजे से जांच चल रही है, जहां टीम को ज्वेलरी, नकद राशि और जमीन से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। वहीं बिलासपुर में अतिरिक्त तहसीलदार लखेश्वर राम के निवास पर भी जांच की जा रही है, जिसमें छह से अधिक अधिकारी शामिल हैं। इस दौरान उनके परिजनों ने विरोध भी जताया।
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बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई सहित प्रदेश के कई जिलों में एक साथ की गई। इस घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी, जिस पर पीएमओ ने संज्ञान लिया और डॉ. महंत को पत्र के माध्यम से इसकी पुष्टि भी मिली।
इस मामले की जांच में सामने आया है कि जमीन अधिग्रहण में करीब 43 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एनएचएआई से 78 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया। इसमें एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के गठजोड़ ने बैक डेट में दस्तावेज तैयार कर फर्जीवाड़ा किया।
रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर से जुड़ी इस गड़बड़ी की खबरें मीडिया में आने के बाद कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे और जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को निलंबित किया गया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, पांच अफसरों ने 43 करोड़ 18 लाख से अधिक की गड़बड़ी की।
राजस्व विभाग की रिपोर्ट बताती है कि अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में जमीन को 159 खसरे में बांटकर मुआवजा लेने के लिए रिकॉर्ड में 80 नए नाम दर्ज किए गए। जिससे जमीन की कीमत 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ हो गई। अभनपुर बेल्ट के 9.38 किलोमीटर हिस्से के लिए कुल 324 करोड़ का मुआवजा तय किया गया था, जिसमें से 246 करोड़ का भुगतान हो चुका है जबकि 78 करोड़ पर रोक लगाई गई है।
जांच में यह भी सामने आया कि एक ही परिवार की चार एकड़ जमीन को सर्वे से पहले 14 हिस्सों में बांटकर बैक डेट में दस्तावेज तैयार किए गए और इसी परिवार को 70 करोड़ रुपये मुआवजा दे दिया गया। एनएचएआई की आपत्ति के बाद राजस्व विभाग ने इस मामले की जांच रिपोर्ट तैयार की और मुआवजा वितरण पर रोक लगाई।