Farmer Protest Live Updates: किसानों और सरकार की वार्ता बेनतीजा खत्म, अब 22 जनवरी को फिर होगी बात

केंद्र ने क़ानून पर अमल रोकने का दिया प्रस्ताव, किसानों ने कहा वापसी से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आज अपनी बनाई समिति पर उँगली उठाने वालों को फटकार लगाई, कहा सदस्यों पर आरोप बर्दाश्त नहीं

Updated: Jan 20, 2021 02:05 PM IST

Live Updates

सरकार और किसान नेताओं के बीच अब 22 जनवरी को फिर होगी बातचीत

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और मोदी सरकार के मंत्रियों की वार्ता का आज भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। अब दोनों पक्षों के बीच 22 जनवरी को फिर से बातचीत होगी।  

किसानों और सरकार की वार्ता में आज भी नहीं निकला समाधान

कृषि कानूनों के खिलाफ करीब दो महीने से सड़कों पर रहकर आंदोलन कर रहे किसानों की बात सरकार ने आज भी नहीं मानी। लिहाजा दसवें दौर की वार्ता भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के लिए तो कानून पर अमल रोक ही दिया है, अगर वे कानूनों के एक-एक प्रावधान पर चर्चा के लिए समिति बनाने की बात मान लें तो सरकार अपनी तरफ से इस रोक को और आगे भी बढ़ा सकती है। लेकिन किसाने नेताओं ने साफ कर दिया कि उन्हें तीनों कानूनों की वापसी से कम कोई भी प्रस्ताव मंज़ूर नहीं है। किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार के सामने यह बात लगातार साफ करते रहे हैं। 

किसान नेताओं और मंत्रियों के बीच बातचीत जारी

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच बातचीत का दौर जारी है। लंच ब्रेक के बाद शाम लगभग साढ़े पांच बजे फिर से बातचीत का दौर शुरू हुआ है। लंच से पहले हुई बातचीत में आज कृषि कानूनों और MSP के मुद्दों के अलावा NIA का इस्तेमाल करके किसान नेताओं को परेशान करने और डराने की कोशिश का मसला भी उठा। सरकार ने दावा किया कि किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा। किसान नेताओं से यह भी कहा गया कि अगर किसी निर्दोष को NIA का नोटिस मिला है तो वो उसका नाम बताएं। 

सरकार और किसान नेताओं में MSP के मुद्दे पर हुई बात, NIA का मुद्दा भी उठा

सरकार और किसान नेताओं में MSP के मुद्दे पर हुई बात, NIA का मुद्दा भी उठा

Photo Courtesy : Aaj Tak

किसानों और सरकार के मंत्रियों की वार्ता के दौरान अभी लंच ब्रेक हुआ है। मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़ लंच ब्रेक से पहले MSP के मुद्दे पर चर्चा हुई। उससे पहले किसानों ने NIA की तरफ़ से किसान नेताओं को नोटिस भेजे जाने का मुद्दा भी उठाया। शिमला में कल एक किसान की गिरफ़्तारी के मुद्दे पर भी बात हुई। कृषि मंत्री ने दावा किया कि किसी निर्दोष के साथ ग़लत नहीं होगा।

विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच बातचीत जारी

कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच आज दसवें दौर की वार्ता हो रही है। अब से थोड़ी देर पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में यह बैठक शुरू हुई है। बैठक में चालीस किसान संगठनों के नेताओं के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सरकार की तरफ़ से बातचीत कर रहे हैं।

वार्ता से पहले किसान नेताओं के सख़्त तेवर

सरकार के साथ आज की वार्ता से पहले किसान नेताओं के तेवर सख्त नज़र आए। कई किसान नेताओं को NIA की तरफ से नोटिस भेजे जाने की वजह से उनमें नाराज़गी दिखाई दी। किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा है कि वो NIA के सामने पेश नहीं होंगे। अगर उनका संगठन उन्हें कहेगा तो वे चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक तरफ़ तो सरकार बातचीत कर रही है और दूसरी तरफ़ हम पर इस तरह से दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। बलदेव सिंह ने कहा कि मेरे बैंक खाते बिलकुल ठीक हैं। सरकार को नोटिस भेजने से  पहले छानबीन करनी चाहिए थी।

जो भी प्रदर्शन हो शांति बनी रहनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने किसान संगठनों की तरफ से पैरवी कर रहे प्रशांत भूषण से कहा कि अदालत को सिर्फ इस बात की फिक्र है कि जो भी प्रदर्शन हो, वह शांतिपूर्ण होना चाहिए। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि किसान संगठनों ने साफ-साफ शब्दों में आश्वासन दिया है कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा। वे दिल्ली के बाहरी इलाकों में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। गणतंत्र दिवस की परेड में व्यवधान डालने का उनका कोई इरादा नहीं है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें प्रशांत भूषण के आश्वासन पर भरोसा है।

ट्रैक्टर रैली पर पुलिस करेगी फ़ैसला, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वापस ली अर्ज़ी

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने पर फैसला अब पुलिस ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर इस बारे में कोई फैसला करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला पुलिस पर छोड़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के कहने पर केंद्र सरकार ने इस बारे में दायर अपनी याचिका वापस ले ली। इस बारे में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने कहा, "किसानों की ट्रैक्टर रैली या किसी प्रदर्शन के खिलाफ सरकार की अर्जी पर अदालत कोई आदेश जारी नहीं करेगी। हम पहले ही कह चुके हैं कि इस बारे में पुलिस को फैसला करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बनाई कमेटी के बारे में एतराज़ को ख़ारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और सरकार के रुख के बीच समाधान निकालने के लिए बनाई समिति के बारे में किसानों की तरफ से जाहिर एतराज को खारिज कर दिया है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक चीफ़ जस्टिस ने कहा कि कमेटी में शामिल लोग अपने-अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं। जो लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, उनके पास वो क्षमता नहीं है। क्या आप उन पर आरोप लगा रहे हैं? चीफ़ जस्टिस ने कहा कि क्या कोई वकील अपनी राय जानकारी मिलने के बाद बदलता नहीं है? जब तक कोई ठोस विषय सामने नहीं रखा जाता, तब तक इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कमेटी को अभी कोई अधिकार नहीं दिया गया है। उसे सिर्फ़ राय के लिए बनाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में भी आज होनी है सुनवाई

55 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान 26 जनवरी को राजधानी में ट्रैक्टर परेड निकालना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरी इजाज़त उन्हें अब तक नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ये मसला दिल्ली पुलिस पर छोड़ दिया था। लेकिन किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के बीच वार्ता में इस बारे में कोई समाधान निकलने की अब तक ख़बर नहीं है। आज इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होनी है। साथ ही किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच भी इस मसले पर आज फिर से बात होने की उम्मीद है। 

सरकार हमें तोड़ने और डराने की कोशिश कर रही है: राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार हमें तोड़ने और डराने की कोशिश कर रही है। लेकिन किसान पीछे नहीं हटेंगे। हम सरकार को ये मौक़ा नहीं देना चाहते कि उन्हें कहना पड़े कि हमने बुलाया और आप आए नहीं। ट्रैक्टर रैली के बारे में पूछने पर उन्होंने मीडिया से कहा कि इस बारे में पूरी जानकारी अख़बार के ज़रिए देंगे। रैली का रूट अभी फ़ाइनल नहीं है।

सरकार एक और तारीख़ दे देगी : चढ़ूनी

सरकार से आज वार्ता तो होनी है लेकिन किसान नेताओं को उससे कोई ख़ास उम्मीद नहीं है। किसान नेता गुमनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि सरकार के अब तक के रुख़ को देखने के बाद वे आज की बैठक में भी समाधान निकलने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लगता यही है कि सरकार हमें आज एक और आगे की तारीख़ दे देगी। चढ़ूनी ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीक़े से ट्रैक्टर रैली निकालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि किसान गणतंत्र दिवस समारोह को किसी भी रूप में डिस्टर्ब नहीं करेंगे।

क्या आज किसानों और सरकार में बनेगी बात

आज दोपहर क़रीब 2 बजे किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच फिर से वार्ता होनी है। अब तक की वार्ता में कोई ख़ास नतीजा नहीं निकल पाया है। किसानों की सबसे प्रमुख माँग तीनों नए कृषि क़ानूनों की वापसी की है। लेकिन सरकार क़ानून वापस लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में कोई रास्ता निकल पाना आसान नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट भी इस मसले के समाधान के लिए एक कमेटी बना चुका है, लेकिन सभी सरकार समर्थक लोगों को सदस्य बनाए जाने की वजह से किसानों को उस समिति पर भरोसा नहीं है।