गुना में सिस्टम से हारा किसान, न्याय के लिए जमीन पर रेंगते हुआ पहुंचा कलेक्ट्रेट
गुना जिले में 11 साल से चले आ रहे जमीन विवाद से परेशान किसान हिम्मत सिंह अहिरवार ने अनोखा विरोध किया। न्याय न मिलने से आहत किसान रेंगते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा।
गुना। मध्य प्रदेश के गुना जिले में सरकारी तंत्र की उपेक्षा और न्याय में हो रही देरी से त्रस्त एक किसान ने मंगलवार को विरोध का ऐसा तरीका अपनाया जिसने पूरे प्रशासन को झकझोर कर रख दिया। तहसील आरोन के ग्राम आंखखेड़ा निवासी किसान हिम्मत सिंह अहिरवार अपने खेत से जुड़े जमीन विवाद को लेकर आरोन बस स्टैंड से लेकर गुना कलेक्ट्रेट तक जमीन पर रेंगते हुए जनसुनवाई में पहुंचे। आंखों में आंसू और शरीर पर धूल के साथ किसान को रेंगते देख कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल भी हैरान रह गए और उन्होंने तुरंत मामले को संज्ञान में लिया।
दरअसल, हिम्मत सिंह अहिरवार पिछले 11 सालों से अपनी जमीन को लेकर न्याय के लिए भटक रहे हैं। किसान का कहना है कि उनकी जमीन सर्वे क्रमांक 145/2 के एक हिस्से कुल 0.627 रकबा का साल 2014 में गलत तरीके से नामांतरण कर आरोपी धनराम अहिरवार के नाम दर्ज कर दिया गया था। तभी से वह अपनी जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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किसान ने बताया कि बीते चार सालों से वह आरोन न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। लगातार निराशा और प्रशासनिक उदासीनता के चलते वे मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं। इसी हताशा में उन्होंने यह अनोखा और दर्दनाक विरोध प्रदर्शन किया ताकि प्रशासन का ध्यान उनकी पीड़ा की ओर जाए।
कलेक्ट्रेट पहुंचकर हिम्मत सिंह ने सीधे कलेक्टर से गुहार लगाई और कहा कि अगर उन्हें उनकी जमीन वापस नहीं दिलाई गई तो उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी जाए। किसान का कहना था कि सिस्टम के सामने अपनी बात रखने के लिए उनके पास अब यही एक रास्ता बचा था।
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इस पूरे घटनाक्रम पर गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने किसान के प्रदर्शन को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं। कलेक्टर ने बताया कि प्रकरण उनके संज्ञान में आ चुका है और उन्होंने आरोन तहसीलदार से तत्काल बातचीत कर मौके पर भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि निष्पक्ष जांच की जा सके।
कलेक्टर किशोर कन्याल ने कहा कि इस मामले में एक पक्ष की ओर से न्यायालय का फैसला भी सामने आया है। राजस्व रिकॉर्ड और कोर्ट के आदेशों की गहन पड़ताल की जाएगी और दोनों पक्षों को सुनने के बाद वैधानिक प्रक्रिया के तहत जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने किसान को भरोसा दिलाया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
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