MP: ग्राम पंचायत में कमीशनखोरी के लिए पारित हुआ प्रस्ताव, सरपंच के लिए 10 फीसदी कमीशन निर्धारित
अनूपपुर जिले की सालरगोंदी ग्राम पंचायत में सर्वसम्मति से सरपंच के लिए 10 फीसदी, उप सरपंच के लिए 7 फीसदी और पंच के लिए 5% कमीशन निर्धारित किया गया है।

भोपाल। आमतौर पर नेता व अधिकारी चोरी छिपे भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार का एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है। यहां एक पंचायत ने भ्रष्टाचार के लिए बाकायदा सर्वसम्मति से कानून बना दिया है। इसके तहत सभी ओहदेदारों के लिए कमीशन तय कर दी गई है।
मामला अनूपपुर जिले की सालरगोंदी ग्राम पंचायत का है। यहां कमीशनखोरी के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। सरपंच, उप सरपंच और पंचों ने विकास कार्यों में कमीशन की दरें तय की गई है। सरपंच के लिए 10%, उप सरपंच के लिए 7% और पंच के लिए 5% कमीशन निर्धारित किया गया।
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जनप्रतिनिधियों ने रिश्वत को बकायादा सरकारी नोटशीट में पर बंटवारा किया है। इस प्रस्ताव को नोटशीट पर रखकर ग्राम पंचायत में पारित भी कर लिया गया। जब पंचायत सचिव ने इसका विरोध किया तो सरपंच और पंचों ने मिलकर उसका ट्रांसफर करवा दिया।
इसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट ने पंचायत की इस नोटशीट को बाकायदा राइट टू इनफार्मेशन एक्ट के तहत निकलवाया और जिला प्रशासन को इस पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद ये मामला हाई कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने प्रशासन को नोटिस जारी किया है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैथ की अदालत में अनूपपुर जिले के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट सुरेश सोनी ने जनहित याचिका लगाई है। एडवोकेट अंकित सक्सेना ने बताया कि इस ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का हिस्सा बाकायदा नोटशीट पर किया गया। अनूपपुर जिले में सालरगोंदी ग्राम पंचायत है। गांव के विकास के लिए सरकार से फंड आया। इस फंड का इस्तेमाल पंचायत के विकास कार्यों में होना चाहिए, लेकिन सरपंच, उपसरपंच और पंचों ने इस राशि में से सचिव से हिस्सा मांगा। इसी का बंटवारा कैसे हो, इसके लिए बाकायदा सरपंच ने एक नोटशीट तैयार की।