हिंदू महासभा ने वंदे मातरम की आलोचना की थी, लोकसभा में पीएम मोदी पर कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मुस्लिम लीग में वंदे मातरम् का विद्रोह था। उनका कहना था कि पूरे वंदे मातरम् का बहिष्कार करना चाहिए। हमारे नेता मौलाना आजाद साहब ने कहा था कि मुझे वंदे मातरम् पर कोई आपत्ति नहीं है।

Updated: Dec 08, 2025, 01:53 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा में आज वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर खास चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा की शुरुआत की। इस दौरान पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस पर वंदे मातरम के टुकड़े करने के आरोप लगाए। इसके जवाब में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पीएम मोदी को याद दिलाया कि हिंदू महासभा ने वंदे मातरम की आलोचना की थी।

लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'वंदे मातरम् अंग्रेजों को करारा जवाब था, ये नारा आज भी प्रेरणा दे रहा। आजादी के समय महात्मा गांधी को भी यह पसंद था। उन्हें यह गीत नेशनल एंथम के रूप में दिखता था। उनके लिए इस गीत की ताकत बड़ी थी। पिछली सदी में इसके साथ इतना अन्याय क्यों हुआ। वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात क्यों हुआ। वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा कुछ पुज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ी।'

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी। कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए। ये उसका तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का ये तरीका था। तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी। 
इसके जवाब में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मैं बंगाल की उस भमि को नमन करता हूं, जहां से बंकीम चंद्र, रवींद्र नाथ टैगोर, खुदीरामबोस सहित कई महापुरुष आए। बंगाल की धरती ने न हमें सिर्फ राष्ट्रगान दिया, बल्कि राष्ट्रीय गीत भी दिया। उन्होंने कहा कि जिन्होंने ऐसी कविताएं रची, ऐसी गीत रचे, जिन शब्दों की प्रेरणाओं के साथ स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिली।

गौरव गोगोई ने पीएम मोदी पर पलटवार करते हुए कहा, 'पीएम मोदी के भाषण के दो मकसद थे।पहला- उनकी बातों को लेकर ऐसा लग रहा था कि उनके राजनीतिक पूर्वज खुद ब्रिटिश के खिलाफ लड़े थे। ये जो इतिहास को फिर से लिखने की मंशा उनके भाषण में दिखाई थी। दूसरा- एक चर्चा को एक राजनीतिक रंग देने का । जब जब मोदी किसी विषय पर बोलते हैं, नेहरू का नाम कितने बार बोलते हैं, हम रिकॉर्ड करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में उन्होंने 50 बार कांग्रेस और 14 बार नेहरू का नाम लिया।2022 में राष्ट्रपति अभिभाषण पर उन्होंने नेहरू का 15 बार नाम लिया। 2020 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 20 बार नेहरू का नाम लिया। आप कितना भी कोशिश कर लें, उनके योगदान पर एक भी काला दाग नहीं लगा पाएंगे।'

गोगोई ने आगे कहा, 'मुस्लिम लीग में वंदे मातरम् का विद्रोह था। उनका कहना था कि पूरे वंदे मातरम् का बहिष्कार करना चाहिए। हमारे नेता मौलाना आजाद साहब ने कहा था कि मुझे वंदे मातरम् पर कोई आपत्ति नहीं है। हिंदू महासभा ने भी वंदे मातरम की आलोचना की थी। कांग्रेस हिंदू महासभा या मुस्लिम लीग से नहीं, वंदे मातरम् के मूल भाग से चलेगी।

गोगोई ने आगे कहा कि वंदे मातरम् ब्रिटिश शासन के विद्रोह में लिखा गया था। हम ब्रिटिश को बताना चाहते थे कि हम झुकेंगे नहीं। मैं पीएम मोदी से पूछना चाहूंगा कि आपके राजनीतिक पूर्वजों ने इस मंशा को कब पूरा किया था। उन्होंने कहा, 'क्या इतिहास गवाह नहीं कि आपके राजनीतिक पूर्वज खुद कहते थे कि भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लेना चाहिए। और आज आप स्वतंत्रा सेनानियों की बात करते हैं।'

गोगोई ने आगे कहा, 'रवींद्रनाथ टैगोर ने खुद कहा था कि वंदे मातरम् की पूरी भावना उसके शुरुआती दो स्टैंजा (लाइन) में है। जिस मुस्लिम लीग ने क कि वंदे मातरम् का बहिष्कार करो, हमने 1950 में उस मुस्लिम लीग को कहा कि हम इसे राष्ट्रीय गीत का तवज्जो देंगे। इस सिद्धांत के साथ राजेंद्र प्रसाद जी, मौलाना आजाद जी, रविशंकर शुक्ला जी पूरी तरह से सहमत थे। आपकी पार्टी ने कभी बंगाल को समझने की कोशिश ही नहीं है।'