MP में Progeria नामक लाइलाज बीमारी की एंट्री, जवानी में ही बूढ़ा हो जाते हैं मरीज

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सालेरा गांव में दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी प्रोजेरिया के चार मामले मिले हैं। इनमें तीन एक ही परिवार के हैं। एक मरीज की मौत हो चुकी है। इस बीमारी में कोशिकाएं तेजी से बूढ़ी हो जाती हैं।

Publish: Oct 31, 2025, 04:48 PM IST

रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से एक बेहद दुर्लभ और चिंताजनक मामला सामने आया है। जिले में चार लोगों में प्रोजेरिया नामक आनुवंशिक बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। इस बीमारी को हचिंसन-गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम भी कहा जाता है। इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित व्यक्ति कम उम्र में ही तेजी से बूढ़ा दिखने लगता है। साल 2009 में आई फिल्म पा में अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा निभाए गए किरदार ने इसी बीमारी से जूझ रहे बच्चे की झलक दिखाई थी।

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रायसेन जिले के सालेरा गांव में इस बीमारी के चार संभावित मरीजों की पहचान हुई है। इनमें तीन एक ही परिवार के हैं। जबकि, चौथी एक युवती है। इनमें से एक बच्चे की मृत्यु भी हो चुकी है। जबकि, बाकी तीन युवा आज भी जवानी में बुढ़ापे का दर्द झेलने को मजबूर हैं। बताया जा रहा है कि इस गांव में करण सिंह बैरागी की तीनों बेटियां, 22 वर्षीय सुनीता, 18 वर्षीय राजकुमारी और 15 वर्षीय रोशनी इस दुर्लभ बिमारी से पीड़ित हैं। बैरागी का छोटा भाई राजकुमार भी सात साल की उम्र में इसी बीमारी की वजह से दुनिया छोड़ गया था।

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प्रोजेरिया से ग्रसित इन युवाओं के शरीर पर समय से पहले झुर्रियां पड़ने लगती है, बाल झड़ने लगते हैं और त्वचा ढीली हो जाती है। यह बीमारी एलएमएनए जीन में हुए म्यूटेशन की वजह से होती है। जिसकी वजह से शरीर की कोशिकाएं असामान्य रूप से तेजी से बूढ़ी होने लगती हैं। आमतौर पर जन्म के कुछ महीनों बाद ही बच्चों में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोजेरिया एक लाइलाज रोग है। दुनियाभर में इस समय लगभग 500 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। प्रोजेरिया के मरीज सामान्यत: 15 से 18 वर्ष की उम्र तक ही जीवित रह पाते हैं। मेडिकल साइंस के लिए यह बीमारी अभी भी एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि अब तक इसका स्थायी इलाज खोजा नहीं जा सका है।

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रायसेन के सालेरा गांव में मिले इन मामलों ने स्वास्थ्य विभाग और वैज्ञानिकों को भी चिंतित कर दिया है। स्थानीय स्तर पर चिकित्सा जांच शुरू की गई है ताकि बीमारी की सटीक पुष्टि और इसके संभावित कारणों की जानकारी मिल सके। ग्रामीणों का कहना है कि इन युवाओं का दर्द शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, उम्र कम है पर चेहरा और शरीर मानो साठ वर्ष का दिखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोजेरिया जैसी दुर्लभ बीमारियों की पहचान और इलाज के लिए और गहन शोध की आवश्यकता है। रायसेन का यह मामला देश में चिकित्सा जगत के लिए एक नई चेतावनी है कि अब भारत में भी यह बीमारी दस्तक दे चुकी है।