MP: फसल बर्बाद होने से निराश किसान ने पिया कीटनाशक, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती
मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर बालाघाट में किसान राजकुमार टेंभरे ने फसलें बर्बाद होने से निराश होकर कीटनाशक पी लिया। हालांकि, समय पर हॉस्पिटल पहुंचने से डॉक्टरों ने किसान की जान बचा ली।
बालाघाट। मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के मौके पर जहां पूरा प्रदेश उत्सव के माहौल में डूबा हुआ है, वहीं बालाघाट जिले से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। यहां लांजी ब्लॉक के ग्राम केरेगांव में एक किसान ने अपनी बर्बाद हुई फसलों के कारण मानसिक तनाव में आकर खेत में ही कीटनाशक पी लिया। हालांकि, समय रहते ही परिजनों और डॉक्टरों की सूझबूझ से उसकी जान बचा ली गई।
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घटना लांजी विकासखंड के ग्राम केरेगांव की है जहां 40 वर्षीय किसान राजकुमार महिपाल टेंभरे अपनी फसलों को देखने खेत पहुंचे थे। पिछले कई दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने उनके तीन एकड़ खेतों को दलदल में बदल दिया था। धान और अन्य फसलें पूरी तरह सड़ चुकी थीं। यह नजारा देखकर राजकुमार गहरे सदमे में चले गए। आर्थिक नुकसान और कर्ज के बोझ से टूट चुके किसान ने तनाव में आकर खेत में ही कीटनाशक जहर पी लिया।
घर वापस न लौटने पर जब परिजनों को शक हुआ तो वे ग्रामीणों के साथ खेत की ओर गए। वहां उन्होंने राजकुमार को बेहोशी की हालत में पड़ा देखा। तत्काल ग्रामीणों ने मोटरसाइकिल से उन्हें सिविल अस्पताल, लांजी पहुंचाया। किसान के अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने फौरन इलाज शुरू किया। डॉक्टरों के अनुसार, अब उनकी हालत स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं।
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स्थानीय किसानों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से जारी भारी बारिश ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी है। सैकड़ों एकड़ फसलें नष्ट हो चुकी हैं। जिसकी वजह से किसान गहरे आर्थिक संकट में हैं। राजकुमार की तीन एकड़ फसल उनकी सालभर की मेहनत और आय का एकमात्र साधन थी। उसके बर्बाद हो जाने से वे निराशा और मानसिक तनाव में आ गए।
घटना के बाद गांव में चिंता का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल सर्वे कराकर फसल नुकसान का आकलन करने और प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते राहत और मुआवजा नहीं दिया गया तो और भी किसान ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में आपदा राहत राशि और फसल बीमा क्लेम तुरंत जारी किए जाएं ताकि किसानों को आर्थिक सहारा मिल सके।
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