दफ्तर दरबारी: महिला आईएएस ने खोल दी ब्यूरोक्रेसी की पोल
IAS Controversy: आईएएस मीनाक्षी सिंह ने कुछ ऐसी बातें कहीं जिससे सरकारी कार्यप्रणाली की पोल खुल गई हैं। जो बातें संकेतों में होती थी या जिन पर कड़वा घूंट पी कर रह जाया जाता था वे अब सार्वजनिक रूप से खुल कर कही जा रही है।
जातिवाद एक ऐसा मुद्दा हो गया है जिसे मिटाने के जितने जतन हुए वह और बढ़ता गया। आमतौर पर राजनीतिक कारणों से जातिवाद का मामला सक्रिय और गर्माया रहता है लेकिन फिलहाल मध्यप्रदेश में प्रशासनिक गलियारे में जातिवाद के ढंकी-छिपी कई परतें उघाड़ दी है। जो बातें संकेतों में होती थी या जिन पर कड़वा घूंट पी कर रह जाया जाता था वे अब सार्वजनिक रूप से खुल कर कही जा रही है। कुछ दिनों आईएएस संतोष वर्मा का ब्राह्मण बेटी और आरक्षण को जोड़ कर दिया गया बयान विवाद का केंद्र बना हुआ है। अब मध्य प्रदेश में जातिवाद को लेकर एक और आईएएस का बयान चर्चा में है।
आईएएस मीनाक्षी सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो पुराना है और भोपाल में आयोजित अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) की साधारण सभा का बताया जा रहा है। अपने भाषण में 2013 बैच की आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सिंह जातिवाद को आज की जरूरत बताते हुए सुनाई दे रही हैं। वे कह रही हैं कि हमें जातिवादी होना जरूरी है और अपने बच्चों को अपनी जाति के बारे में बताना चाहिए।
यहां तक तो मामला अपनी जगह है लेकिन आईएएस मीनाक्षी सिंह ने कुछ ऐसी बातें कहीं जिससे सरकारी कार्यप्रणाली की पोल खुल गई हैं। वीडियो में वे कहती सुनाई दे रही हैं कि सरकारी सिस्टम बेहद कॉम्प्लिकेटेड है। कई बार सरनेम देखकर पक्षपात किया जाता है।
2018 में एससी/एसटी एक्ट के विरोध में ग्वालियर में हुए बंद के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बाद भेदभाव के मामले सामने आए थे। इन घटनाओं में सरकारी अफसरों के जुड़ाव की सूचनाओं ने सरकार के कान खड़े कर दिए थे। 2018 के चुनाव में अजाक्स के समानांतर सर्वण कर्मचारियों के संगठन सपाक्स भी मैदान में था। अब जब आईएएस ने सिस्टम में जातिगत भेदभाव को रेखांकित किया है तो इस टिप्पणी ने सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। वायरल वीडियो से मचा बवाल वीडियो सामने आते ही प्रदेशभर में सनसनी फैल गई। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अफसरों को इस तरह खुले मंच से जातिवादी बयान देने चाहिए? अफसर का जातिवादी बयान देना जितना गलत है उतना या उससे ज्यादा गलत है सिस्टम का सरनेम देख कर काम करना। यह भेदभाव आगे मनमुटाव और प्रतिशोध की भूमिका तैयार करता है।
कुछ दिन खुश हो लें, आईएएस को नहीं भेजा जाएगा काला पानी
ब्राह्मण की बेटी को लेकर दिए बयान के बाद आईएएस संतोष वर्मा का ब्राह्मण समाज लगातार विरोध कर रहा है। उधर, उनके समर्थन में भी अजाक्स, जयस जैसे संगठन आ गए हैं। सरकार लंबे समय तक दुविधा में रही कि आईएएस संतोष वर्मा पर क्या और कैसी कार्रवाई करे। यदि सख्त एक्शन लेगी तो दलित विरोधी छवि बनने का डर था और यदि कार्रवाई नहीं करती तो ब्राह्मण संगठन उग्र हो रहे थे।
बात जब बढ़ने लगी तो अतीत में की गई गड़बडियों तथा बयान को आधार बनाते हुए मोहन सरकार ने आईएएस संतोष वर्मा को पद से हटा कर बिना विभाग का अधिकारी बना कर मंत्रालय में भेज दिया। आंदोलन को संदेश देने के जिए सरकार ने केंद्र सरकार से आईएएस संतोष वर्मा पर कार्रवाई की अनुशंसा कर दी है।
सरकार की कार्रवाई से ब्राह्मण समाज को राहत मिली है। ब्राह्मण नेता खुश हैं कि उसके दबाव में सरकार ने कार्रवाई की है। अब वे इंतजार कर रहे हैं कि केंद्र सरकार आईएएस संतोष वर्मा से कैडर वापसी की प्रक्रिया शुरू करेगा क्योंकि कैडर पाने में गड़बडि़यां की गई हैं। जानकार मान रहे हैं कि खुशी कुछ ही देर की है। कैडर वापसी जैसी कड़ी कार्रवाई होना मुश्किल है। इसकी वजह सरकार का रवैया है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को जिस भाषा शैली में अनुशंसा पत्र लियाा है वह कार्रवाई के लायक है नहीं। इसके लिए सरकार को मय सबूत ठोस अनुशंसा करनी होगी। फिलहाल, सरकार ने आईएएस को नोटिस देकर लूपलाइन में भेज कर सजा का संदेश तो दे ही दिया है। जल्द ही पता चल जाएगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने पत्र पर केंद्र सरकार कार्रवाई करती है या नहीं।
मेरे अंगने में सीएस का क्या काम?
मुख्य सचिव को लेकर दिया गया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एक बयान इनदिनों प्रशासनिक गलियारे में चर्चा में है। सीएम डॉ. मोहन यादव से पूछा गया था कि सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताने वाले कार्यक्रम में दोनों उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के पदाधिकारी तो हैं लेकिन मुख्यसचिव क्यों नहीं है? तब मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार की उपलब्धि बताने के लिए वे कार्यक्रम हैं। मुख्यसचिव का काम मंत्रालय में है। वे मंत्रालय में फाइल निपटाएं। उनका यहां क्या काम?
यूं तो यह बयान हास परिहास के मूड में दिया गया लगता है लेकिन ऐसा था नहीं। कार्यक्रम में मौजूद पत्रकारों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के स्वर की गंभीरता देखते हुए उनसे इस बारे में आगे कोई प्रश्न ही नहीं किया। बात आगे बढ़ गई लेकिन सीएस से जुड़ा प्रश्न और मुख्यमंत्री का उत्तर जेहन में अटक गया है। इस उत्तर ने इन कयासों को हवा दे दी है कि प्रदेश के मुखिया सीएम डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के मन अभी मिले नहीं है। अन्यथा जब मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मंच पर बैठ सकते हैं तो प्रदेश का प्रशासनिक मुखिया क्यों नहीं?
इस कयास के भी अपने कारण हैं। मुख्यसचिव नियुक्ति के समय से ही माना गया कि आईएएस अनुराग जैन सीएस के रूप में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पसंद नहीं हैं। उन्हें दिल्ली ने भेजा है। बाद में कुछ निर्णयों को लेकर सीएस अनुराग जैन और सीएम मोहन यादव के रिश्तों में खटास की खबरें चर्चा में रही। बीच में दोनों ने एकसाथ आ कर इन कयासों को खत्म किया भी था लेकिन अब फिर ऐसा लगता है कि रिश्ते पर पाला पड़ गया है।
कलेक्टरों के बीच वायरल कलेक्टर चर्चा में
भोपाल में सालाना आयोजन आईएएस सर्विस मीट का आयोजन किया जा रहा है। इस मीट के लिए प्रदेश के आईएएस इनदिनों सपरिवार राजधानी में डेरा डाले हुए हैं। प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों अलावा इन अफसरों में आपसी कामकाज को लेकर भी गुफ्तगू हो रही है। मैदान में बतौर कलेक्टर पदस्थ आईएएस अफसरों के नवाचार भी चर्चाओं का केंद्र है। 2016 बैच के आईएएस दतिया कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े चर्चा में हैं।
वायरल कलेक्टर नाम से मशहूर स्वप्निल वानखेड़े जहां भी पदस्थ रहे अपनी तेज-तर्रार कार्यशैली व नवाचारों के कारण सुर्खियों में रहे। जैसे जबलपुर नगर निगम कमिश्नर रहते हुए उन्होंने पुरानी बसों और कबाड़ का उपयोग कर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम और आधुनिक रैन बसेरा बनवाया। उनके इस 'वेस्ट टू वेल्थ' नवाचार की सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई। वे जरूरतमंद और मेधावी छात्रों को मुफ्त आईएएस/आईपीएस कोचिंग उपलब्ध कराने के लिए पहल करते हैं। वे स्वयं स्कूलों में जाकर बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए जाने जाते हैं। वे शिकायतों के 'ऑन-द-स्पॉट' निराकरण के लिए प्रसिद्ध हैं। वे इन सब का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। दो दिन पहले वे नेताओं के इशारे पर काम करने वाले एक पटवारी को निलंबित कर खबर बन गए थे।




